दीपक चौहान, न्यूज 127.
हरिद्वार में स्मॉग दिखायी देने से पर्यावरणविदों को चिंता सताने लगी है। यह स्मॉग स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। स्मॉग के असर से धूप भी हल्की पडऋ गई है। स्मॉग का असर बढ़ने से सांस के मरीजों को तकलीफ हो रही है।
धर्मनगरी हरिद्वार पहाड़ों की तलहटी में बसा है, इसके बावजूद यहां स्मॉग का दिखायी देना चिंता का कारण बनता जा रहा है। रविवार को एक्यूआई 167 के स्तर तक पहुंच गया। कुछ स्थानों पर यह और भी अधिक दिखायी दिया। जबकि पीएम2.5 की मात्रा सामान्य से कई गुना अधिक होग गई।
इसके चलते धर्मनगरी के वाशिंदों को दूषित हवा में ही सांस लेने को मजबूर होना पड़ रहा है। प्रोफेसर डॉ आरएस सेंगर के मुताबिक इस समय नमी बढ़ी हुई है। जंगलों का दायरा कम हो रहा है। खेतों का क्षेत्रफल घट रहा है, जगह जगह हाइवे और अन्य निर्माण कार्य चल रहे हैं जिस वजह से जो धूल उड़ रही है उस धूल के कण हवा में ही जम रहे हैं। इसी वजह से स्मॉग का असर बना हुआ है। यह तभी साफ होगा जब तेज हवा चले या फिर बारिश हो। तेज हवा चलने से नमी कम होगी और ये कण जमीन पर आ जाएंगे। वहीं दूसरी ओर रविवार को दिन का अधिकतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
अस्थमा के मरीजों को परेशानी
चिकित्सक डॉ दीपांशु सिंह सेंगर का कहना है कि इस मौसम में अस्थमा और एलर्जी वाले मरीजों को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होती है। आक्सीजन की कमी होने की वजह से मरीजों को सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। मरीजों को घर से बाहर निकलते समय मॉस्क का इस्तेमाल करना चाहिए। स्वास्थ्य में बदलाव नजर आने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेकर उपचार शुरू करना चाहिए।
क्या है पीएम2.5
हवा में तैरते वो कण जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। PM2.5 इतना छोटा है कि यह साँस लेने पर शरीर के अंदर प्रवेश कर रक्तप्रवाह पहुंच जाता है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
आंखों, गले और नाक में जलन
अनियमित दिल की धड़कन
अस्थमा का दौरा
खांसी, सीने में जकड़न और सांस लेने में तकलीफ
लंबे समय तक प्रभाव में रहने पर हार्ट अटैक
फेफड़ों की बीमारी



