आर्य समाज के 150 वर्ष पूर्ण—23 नवंबर को हरिद्वार में निकलेगी भव्य शोभा यात्रा
न्यूज 127, हरिद्वार।
पूर्व कैबिनेट मंत्री और आर्य समाज के प्रचारक स्वामी यतीश्वरानंद ने कहा कि शिक्षित और नैतिक मूल्यों से परिपूर्ण युवा ही भारत को विश्व गुरू बनाने का सपना साकार करेंगे। ऋषि मुनियों की तपस्थी भारत में युवाओं में नैतिक बल को प्रबल बनाए रखना होगा। आर्य समाज की संस्कृति को पुनर्जागरण करना होगा। इसी के चलते 23 नवंबर को हरिद्वार में वैदिक और सनातन संस्कृति का विराट उत्सव होगा। जिसमें देशभर के आर्य प्रतिभाग करेंगे।
विदित हो कि आर्य समाज की स्थापना के 150 वर्ष पूरे होने पर देश और विदेश में विविध कार्यक्रमों की श्रृंखला चल रही है। इसी क्रम में हरिद्वार में 23 नवंबर को आर्य समाज सभा द्वारा भव्य शोभा यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन जहां वैदिक और सनातन संस्कृति का विराट उत्सव होगा, वहीं समाज में नैतिक चेतना, जिम्मेदारी और संस्कारों के पुनर्जागरण का संदेश भी देगा। हरिद्वार में इस विशेष शोभायात्रा को ऐतिहासिक स्वरूप देने के लिए पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद पिछले कई दिनों से निरंतर देशभर में प्रवास कर आर्य समाज की विचारधारा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। उन्होंने युवाओं के चरित्र निर्माण और श्रेष्ठ नागरिक तथा जिम्मेदार इंसान बनने के लिए नैतिक मूल्यों के महत्व पर जोर दिया।
150 वर्ष का गौरवशाली इतिहास, 200वीं जयंती का उत्सव
स्वामी यतीश्वरानंद ने बताया कि वर्ष 1875 में स्वामी दयानंद सरस्वती ने मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की थी। इस वर्ष आर्य समाज न केवल अपने 150 वर्ष पूरे कर रहा है, बल्कि स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती भी वैश्विक स्तर पर मनाई जा रही है। उन्होंने कहा— “आर्य समाज केवल एक संस्था नहीं, बल्कि समाज सुधार और राष्ट्र निर्माण का प्रबल आंदोलन है, जिसने कुप्रथाओं के खिलाफ सदैव नेतृत्व किया है।”
“युवा शिक्षित जरूर, पर संस्कारों से दूर”—स्वामी यतीश्वरानंद
देश के युवाओं को लेकर स्वामी यतीश्वरानंद ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज की पीढ़ी शिक्षित तो है, लेकिन नैतिक मूल्यों से दूर होती जा रही है। उनके शब्दों में— “बच्चे डिग्री तो ले रहे हैं, पर चरित्र और जिम्मेदारी का बोध नहीं पा रहे। माता-पिता, समाज और राष्ट्र के प्रति उनका कर्तव्य क्या है, यह समझाना जरूरी है। इसमें कहीं न कहीं हमारी भी कमी है।” उन्होंने कहा कि परिवार और शिक्षण संस्थानों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और चरित्र निर्माण पर भी उतना ही ध्यान देना चाहिए।
वेदों की ओर लौटने की आवश्यकता
स्वामी यतीश्वरानंद ने वेदों को सत्य का आधार बताते हुए कहा कि आर्य समाज ने हमेशा वेद ज्ञान को समाज सुधार का केंद्र माना है। उन्होंने कहा— “स्वामी दयानंद के वेद संदेश आज भी उतने ही आवश्यक हैं। समाज को सही दिशा देने के लिए वेदों की ओर लौटना अनिवार्य है।” सनातन जीवन जीने की पद्धति, न कि केवल नारा उन्होंने कहा कि सनातन केवल नारा या प्रदर्शन नहीं, बल्कि जीवन जीने का मार्ग है। इसी संदर्भ में उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की धर्म को बदनाम करने वालों के खिलाफ की जा रही कार्यवाही की प्रशंसा की। उन्होंने कहा— “प्रदेश सरकार ने कालनेमियों पर कठोर कदम उठाकर समाज में सकारात्मक संदेश दिया है।”
23 नवंबर: यज्ञ से शुभारंभ, हजारों होंगे शामिल
स्वामी यतीश्वरानंद ने बताया कि शोभायात्रा का शुभारंभ 23 नवंबर की सुबह गुरुकुल महाविद्यालय, ज्वालापुर में विशाल यज्ञ के साथ होगा। सुबह 8:30 बजे यज्ञ होगा। जिसके बाद भोजन और 11 बजे विशाल शोभा यात्रा का प्रारंभ होगी। देशभर से हजारों आर्य भाई-बहनों की सहभागिता रहेगी। शोभायात्रा गुरूकुल महाविद्यालय से प्रारंभ होकर श्रद्धानंद चौक से, आर्यनगर—वानप्रस्थ आश्रम, वेद मंदिर आश्रम, शंकर आश्रम, रानीपुर मोड़ आदि मार्गो से गुजरेगी।
जगह-जगह शोभायात्रा का स्वागत
यात्रा हरिद्वार की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गरिमा को प्रदर्शित करेगी तथा वैदिक संस्कृति का संदेश जन-जन तक पहुंचाएगी। सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक जागरण का अनूठा संगम होगा। आयोजकों का मानना है कि यह शोभा यात्रा केवल धार्मिक प्रदर्शन नहीं, बल्कि समाज सुधार और युवा पीढ़ी में नैतिक मूल्यों के पुनर्जीवन का एक व्यापक अभियान है। हरिद्वार की संस्कृति, वैदिक परंपरा और आर्य समाज की विचारधारा को एक साथ जोड़ने वाली यह यात्रा आने वाली पीढ़ियों को भारतीय संस्कृति की जड़ों से परिचित कराएगी।



