हरिद्वार।
हरिद्वार नगर निगम अपनी संपत्तियों से होने वाली आय को बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रहा है। लंबे समय से बेहद कम किराए पर दी गई दुकानों एवं अन्य संपत्तियों की दरें अब सर्किल रेट के आधार पर तय होंगी। निगम प्रशासन ने इसका पूरा खाका तैयार कर लिया है और जल्द ही नए किराया निर्धारण की प्रक्रिया लागू की जाएगी। उम्मीद है कि इस फैसले से नगर निगम की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और विकास कार्यों को नई गति मिलेगी।
नगर निगम की अनेक व्यावसायिक संपत्तियाँ पिछले कई वर्षों से बेहद कम किराए पर दी जा रही थीं। न तो समय–समय पर किराया बढ़ा, न ही किरायेदारों पर कोई ठोस निगरानी व्यवस्था रही। परिणामस्वरूप निगम की आर्थिक स्थिति लगातार कमजोर होती गई।
इसके उलट, कई दुकानदार इन संपत्तियों से मोटी कमाई कर रहे हैं। कई प्राथमिक किरायेदारों ने तो अपनी दुकानों में सिक्मी किरायेदार बैठा दिए, जिनसे वे रोजाना के हिसाब से किराया वसूल रहे हैं। वहीं निगम को मिलने वाली राशि बेहद मामूली है, जिससे राजस्व पर सीधा असर पड़ा है।
नगर निगम प्रशासन द्वारा हाल ही में कराए गए विस्तृत सर्वे में यह तथ्य पुख्ता हुआ कि सिक्मी प्रणाली के जरिए किराएदार वास्तविक किराए से कई गुना अधिक राशि वसूल रहे हैं। इसी आधार पर निगम ने यह निर्णय लिया कि अब सभी संपत्तियों का किराया सर्किल रेट के अनुसार निर्धारित किया जाएगा, जिससे वास्तविक बाजार मूल्य के अनुरूप किराया तय हो सके।
निगम अधिकारियों का कहना है कि नई व्यवस्था लागू होने के बाद जहां निगम की आय में भारी वृद्धि होगी, वहीं शहर में विकास कार्य, आधारभूत सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण तथा सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने में भी मदद मिलेगी।
नगर निगम का यह कदम वर्षों से चली आ रही अव्यवस्थित किराया व्यवस्था के सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अब शहर को बेहतर सुविधाएं देने के लिए निगम की आय बढ़ाने की कवायद निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। नगर निगम के विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि इस बार सर्किल रेट के हिसाब से संपत्ति के किराया निर्धारित किया जायेगा।
हालांकि जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने पहले ही इस बात की जानकारी दी है कि नगर निगमों, नगर पंचायतों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए संपत्तियों के किराए में बढोत्तरी की जानी है।


