हरकी पैड़ी का इतिहास अनेकों रहस्य समेटे हुए, मिले निशानों से होगा खुलासा




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— भगवान श्री हरी के चरणों के निशान मिले होने से पड़ा था हरकी पौड़ी नाम
नवीन चौहान
हरकी पैड़ी पर भगवान श्री हरी के चरणों के निशान एक पत्थर पर मिले थे जो कि साबित करते है कि भगवान शिव यहां पर आए ​थे स्नान किया था। वे शिवालिक पर्वत से नीचे उतरे थे। हालांकि हरकी पौड़ी बनाने की कई पौराणिक कथाएं सामने आती रही है। लेकिन यहां पर स्नान करने पर मोक्ष की प्राप्ति अवश्य होती है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के बाद निकले अमृत को जब भगवान विश्वकर्मा राक्षसों से बचाकर ले जा रहे थे तो उसकी कुछ बूंदे धरती पर गिर गई थी। जहां जहां वो बूंदे गिरी वो जगह पवित्र हो गई। उसी अमृत की कुछ बूंदे हरिद्वार में भी गिरी और जिस जगह वो गिरी उस जगह को आज हम हरकी पौड़ी कहते हैं।
एक पौराणिक मान्यता है की राजा श्वेत ने यहां ब्रह्मा की पूजा की थी और उनकी आराधना से खुश होकर भगवन ब्रह्मा ने राजा श्वेत को एक वर मांगने को कहा। इस वर में उन्होंने सभी देवताओं से मांग की के इस जगह को हमेशा भगवान के नाम से जाना जाए।
हरकी पौड़ी घाट है उसका निर्माण पहली सदी में राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई भरथरी की याद में करवाया था। भरथरी दीर्घकाल तक गंगा किनारे ध्यान करते थे। जिस जगह वो ध्यान करते थे वहीँ ब्रह्मकुंड है।
मंगलवार को हरकी पैड़ी के पास ब्रह्मकुंड पर खुदाई के दौरान मिले पत्थरों पर निशान और लिपि से साबित होता है कि हरकी पैड़ी का इतिहास अपने में बहुत कुछ समेटे हुए है। मेलाधिकारी दीपक रावत ने इतिहास में एमए किया हुआ और वे प्राचीन इतिहास के बारे में अच्छी जानकारी रखते है। उन्होंने हरकी पैड़ी पर पत्थरों पर मिली लिपि के बारे में बताया कि जांच और रिसर्च पुरात्व विभाग के विशेषज्ञों से कराएंगे।

यहां मिले सबूत का पत्थर
मंगलवार को हरिद्वार हरकी पैड़ी ब्रह्कुंड के समीप ध्वजा लगाने के लिए सीढ़ियों की पर्त हटाई जा रही थी। पर्त हटाते ही जो पैड़ी मिली उसने सबको चौका दिया। वहां पर सदियों पुरानी पैड़ियां दिखाई दी। इन पत्थरों पर कुछ शब्द पुरानी लिपि में लिखे हुए थे। खुदाई के दौरान जब इतिहास सामने आया तो वहां पर खुदाई रोक दी गई।