दीपक चौहान
हरिद्वार राजकीय मेडिकल कॉलेज जगजीतपुर के 100 मेडिकल स्टूडेंटस के पहले बैंच का एमबीबीएस डॉक्टर बनने का सफर शुरू कर चुका है। एप्रिन पहनने के बाद स्टूडेंटस को अब अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कठिन पढ़ाई करने के संघर्ष करना है। करीब पांच सालों तक निरंतर किताबों और अभ्यास के साथ खुद को साबित करना होगा। जिसके बाद उनको डॉक्टर की उपाधि मिलेगी और समाज के लिए 100 नए चिकित्सक अस्पतालों में आपकी सेवा में होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट हरिद्वार राजकीय मेडिकल कॉलेज ने आकार ले लिया है। साल 2024 का शिक्षण सत्र प्रारंभ हो चुका है। इस सत्र में देश के कई राज्यों से करीब 15 और उत्तराखंड के 85 बच्चों सहित कुल 100 स्टूडेंटस को पहले बैंच में सीट आवंटित हुई।
राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ रंगील सिंह रैना को 100 स्टूडेंटस का भविष्य संवारने का दायित्व मिला। उन्होंने बच्चों की तमाम सुरक्षा व्यवस्था के व्यापक स्तर पर प्रबंध किए। हॉस्टल में किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो, इसका बेहद खास ख्याल रखा है। नए भवन में सभी वस्तुएं नई है। नई फेक्लटी और नया प्रबंधतंत्र है। लेकिन बात करें प्राचार्य डॉ रंगील सिंह रैना की तो उनका अनुभव बड़ा गहरा है। कई मेडिकल कॉलेज को चलाने की दक्षता है। इस बार उनको हरिद्वार मेडिकल कॉलेज को ख्याति दिलाने का दायित्व है। डॉ रंगीन सिंह रैना भी बच्चों के इस नए बैंच को लेकर बेहद उत्साहित है। उन्होंने कहा कि एक अच्छा डॉक्टर संवेनशील होना चाहिए। मानव सेवा प्रथम कर्तव्य है। उनका प्रयास रहेगा कि सभी बच्चों को डॉक्टर बनाने के बाद मानवसेवा के लिए प्रेरित करने में कामयाब रहे।
Haridwar Medical College के 100 बच्चों का MBBS बनने का सफर शुरू


