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हरिद्वार के टूर एंड ट्रैवल्स व्यसायी सरकार की चारधाम नीति से संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि यदि नीति में बदलाव नहीं किया गया तो हरिद्वार के व्यापार पर इसका प्रतिकूल असर होगा। इस संबंध में आज एक प्रतिनिधि मंडल अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के संरक्षक महंत श्री हरिगिरी जी महाराज से मिला और अपनी मांग उनके सामने रखकर मुख्यमंत्री से इस संबंध में वार्ता कर समाधान कराने का निवेदन किया।

टूर एंड ट्रैवल्स व्यवसायियों का कहना है कि सरकार ने चारधाम यात्रा के लिए यात्रियों की सीमा निर्धारित कर दी है। यह संख्या पिछले साल से कम है। यात्रियों की संख्या सीमित होने से हरिद्वार का व्यापार चौपट हो जाएगा। यहां जब कठिनाई होगी तो यात्री नहीं आएगा। सरकार यात्रियों को सुविधा उपलब्ध कराने के स्थान पर यात्रा में बंदिशें लगाकर उसे और कठिन बना रही है। संजय शर्मा का कहना है कि हम चाहते हैं कि वर्ष 2020 से पहले की जो व्यवस्था चारधाम को लेकर भी वैसी ही लागू की जाए। यात्री हमसे पूछ रहे हैं कि क्या वह हमें यात्रा कराएंगे, जब रजिस्ट्रेशन पहले ही पूरे हो गए हैं तो कैसे हम यात्रियों को भरोसा दें। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में यात्रा कैंसिल कराने का कोई आप्शन नहीं है, ऐसे में जिन्होंने पंजीकरण कराया है वह शत प्रतिशत आएंगे इसकी क्या गारंटी है। यदि वह नही आते तो उनके स्थान पर किसी ओर को भेजने की कोई व्यवस्था नहीं है। हमने सीएम से मांग की है कि वह इस मुद्दे पर अपना कोई मैसेज दे ताकि यात्रियों को कोई राहत मिले।

व्यवसायी विजय शुक्ला, अरविंद खन्ना, उमेश पालीवाल, अभिषेक अहलूवालिया, बंटी भाटिया, संजय शर्मा, सुनील जयसवाल, टीटू सरदार, पुष्पप्रीत तनेजा, अर्जुन सिंह आदि का कहना है कि सरकार की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया से यात्री असमंजस में है। वो हमसे पूछ रहे हैं कि यदि हम हरिद्वार आते हैं तो क्या वह हमें कंफर्म चारधाम यात्रा कराएंगे। ऐसे में हम स्वयं नर्वस है कि उन्हें कैसे इसका भरोसा दे।
महंत श्री हरिगिरि महाराज से मिले प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि हमें महाराज ने आश्वासन दिया है कि वह इस संबंध में मुख्यमंत्री तक उनकी बात जरूर पहुंचाएंगे। टूर व्यवसायियों का कहना है कि इस संबंध में हम एक बड़ी बैठक का आयोजन भी कर रहे हैं, उसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।