नवीन चौहान.
हरिद्वार में इस समय कॉरिडोर का मुद्दा गरमाया हुआ है। व्यापारी और कांग्रेस इस योजना का विरोध कर रहे हैं। सरकार की मंशा है कि बाजारों से अतिक्रमण हटाकर रास्ते चौड़े कर दिये जाए ताकि बाजार में आने वाले यात्रियों को परेशानी न हो लेकिन वर्तमान में हरिद्वार के बाजारों में दुकानदारों ने ही अतिक्रमण कर रास्तों को संकरा बना दिया है।
दुकानदार तू शेर तो मैं सवा शेर वाली कहावत को अपनाते दिख रहे हैं। एक दुकानदार ने यदि अपनी दुकान के सामने बाहर दो फीट सामान रखा तो पड़ोसी दुकानदार उससे 6 इंच अधिक बाहर निकालकर रखने की मंशा रखता है। इसका नतीजा यही है कि बाजार संकरे हो गए हैं। ऐसा नहीं है कि दुकानदारों को नहीं पता कि उन्होंने अतिक्रमण किया हुआ है लेकिन वह कहते हैं कि यदि सामान बाहर नहीं होगा तो ग्राहक को कैसे पता चलेगा कि दुकान पर क्या सामान बिक रहा है। हरिद्वार के पुराने बाजार के दुकानदारों से जब अतिक्रमण को लेकर बात की जाती है तो वह कहते हैं कि पहले पुलिस थाने और चौकियों के बाहर हो रहे अतिक्रमण को हटाया जाए। अवैध रूप से घाटों के पास जो अस्थायी बाजार बना दिये गए हैं उन्हें हटाया जाए। कुछ दुकानदार तो अतिक्रमण की बात करने पर ही भड़क जाते हैं, वो कहते हैं कि हमारा अतिक्रमण दिखायी दे रहा है लेकिन जो हमसे अधिक अतिक्रमण किये बैठे हैं उनसे कोई नहीं पूछता। अब बड़ा सवाल यही है कि बाजारों के अतिक्रमण को कैसे हटाया जाए ताकि यहां आने वाले यात्रियों और ग्राहकों को आवागमन की सुविधा मिल सके।