Uttarakhand के तीन मोस्ट वांटेड को किसने मारा, कहां थी मित्र पुलिस, जानिए पूरी खबर




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नवीन चौहान, हरिद्वार। उत्तराखंड के तीन मोस्ट वांटेड 50 हजार के ईनामी बदमाशों को यूपी पुलिस ने चुन-चुन कर मारा। कुख्यात बदमाशों के एनकाउंटर होने शुरू हुये तो बदमाशों ने उत्तराखंड की जेलों को अपना सुरक्षित ठिकाना मानते हुये रूख कर लिया। उत्तराखंड पुलिस ने बदमाशों का सरेंडर करा दिया। फर्जी रणवीर एनकाउंटर केस के बाद से उत्तराखंड पुलिस किसी दूसरे बदमाशों को गोली से उड़ाने का साहस नहीं दिखा पाई। 3 जुलाई 2009 को देहरादून में फर्जी रणवीर एनकाउंटर केस की फाइल खुली तो उत्तराखंड पुलिस बुरी तरह से मानसिक दबाव में आ गई। इसी केस ने उत्तराखंड पुलिस के जवानों के दिमाग पर मनोवैज्ञानिक दबाव डाला और उनके मनोबल को दिल की गहराईयों तक हिलाकर रख दिया है। उत्तराखंड पुलिस के पास अत्याधिनक असहले तो है। बदमाशों की सुरागरसी और पतागरसी करने की काबलियत भी है। पर बदमाशों को गोली से उड़ाने की हिम्मत अब कमजोर दिखाई पड़ रही है। ऐसा लगता है मानो उत्तराखंड पुलिस के हाथ किसी ने पीछे से जकड़़ रखे है। पुलिस बदमाशों की गिरफ्तारी तक ही सीमित रह गई है। उत्तराखंड पुलिस ने साल 2009 के बाद फिर किसी बदमाश का कोई एनकाउंटर नहीं किया है।
उत्तराखंड के चर्चित फर्जी रणवीर एनकाउंटर केस ने मित्र पुलिस को मानसिक रूप से कमजोर किया है। इस बात का अंदाजा उत्तराखंड में बदमाशों के दुस्साहस को देखकर लगाया जा सकता है।  विगत सालों में रूड़की में एक बदमाश ने लूटपाट की वारदात के बाद कांस्टेबल सुनित नेगी की गोली मारकर हत्या कर दी। सुनित की हत्या करने वाले बदमाश इंदरपाल ने यूपी में शरण ली। उत्तराखंड पुलिस ने इंदरपाल पर 50 हजार का ईनाम घोषित कर दिया। लेकिन उत्तराखंड पुलिस इस बदमाश इंदरपाल का एनकाउंटर नहीं कर पाई। ऐसे ही उत्तराखंड के दूसरे मोस्ट वांटेड बदमाश रमजानी और अख्तर की कहानी है। दोनों ही बदमाशों का उत्तराखंड में आतंक रहा। लेकिन मित्र पुलिस के जवान अपने बंधे हाथों को खोलने का साहस नहीं जुटा पाये। रमजानी और अख्तर यूपी पुलिस की मुठभेड़ में मार गिराये गये। जबकि दो अन्य बदमाश शाहरूख पठान और मुजाहिद ने उत्तराखंड पुलिस को सामने सरेंडर कर दिया। कुल मिलाकर कहे तो उत्तराखंड पुलिस रणवीर एनकाउंटर के बाद मनोवैज्ञानिक दबाव में है।
यूपी पुलिस का मनोबल चरम पर
यूपी पुलिस का मनोबल कितना चरम पर है इसका अंदाजा इस अपहरण के केस से लगा सकते है। गाजियाबाद के लोहा व्यापारी सुनील अरोड़ा के अपहरणकर्ताओं का पीछा करते हुये हरिद्वार पहुंची क्राइम ब्रांच की टीम ने बदमाशों को देखते ही ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। एक बदमाश के पैर में गोली लगी। हालांकि वो एयर फोर्स का जवान निकला और कुख्यात अपराधी नहीं था।