उत्तराखंड आपदा: पलक खुली और मौत के आगोश में समा गए करीब 150 लोग,10 शव बरामद




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नवीन चौहान
पेट की भूख मिटाने और परिवार का पेट भरने की खातिर नदियों और टनल में काम कर रहे करीब डेढ़ सौ गरीब मजदूरों की मौत हो गई। सभी लोग सामान्य दिनों की तरह ही कार्य करने में जुटे थे। उनको नहीं मालूम था कि रविवार की दिन उनका आखिरी दिन होगा। मौत भी ऐसी जिसे सुनने वाले इंसान की रूह भी कांप जाए। ग्लेशियर टूटने से आए पानी और पत्थरों के बहाव में चंद सेकेंड में ही मौत की गहरी नींद सो गए। मृतकों के शव भी रेत और पत्थरों के बीच दबकर रह गए। फिलहाल तो राहत और बचाव कार्यो में जुटी प्रशासन की टीम मृतकों के शवों की तलाश में जुट गई है। 10 शवों को बरामद कर लिया गया है। जबकि अन्य शवों की तलाश की जा रही है। इस आपदा की दहशत की गूंज दिल्ली तक सुनाई दी।
साल 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद साल 2021 दिन रविवार की सुबह चमोली जनपद के जोशीमठ में नंदादेवी ग्ले​शियर फट गया। एक जोरदार धमाके की आवाज सुनाई और पानी का सैलाब उमड़ गया। पानी का तेज बहाव अलकनंदा नदी में बहने लगा। जोशीमठ के एक ग्रामीण ने इस ग्लेशियर के टूटने की वीडियो बनाई और सोशल मीडिया के माध्यम से जनता को अलर्ट किया। इस युवक ने जनता को सतर्क करने का बेहतर कार्य किया। लेकिन इस घटना से सबसे ज्यादा प्रभावित लोगों की बात करें तो सभी मजदूर तबके के थे। वह रोजाना की तरह ही टनल में कार्य कर रहे थे। उनको नहीं मालूम था कि आज उनकी जिंदगी का आखिरी दिन है। उनको अपने परिवार से बात करने का अवसर भी नहीं मिलेगा। उनको पलक झपकने का मौका भी नही मिलेगा। काल के आगोश में समां गए ये तमाम लोग बेहद ही गरीब थे। हालांकि केंद्र व राज्य सरकार इन गरीबों के परिवारों को मुआवजा भी देगी। लेकिन कुछ बच्चे अनाथ हो गए और कुछ पत्नियां विधवा होगी। किसी मां का बेटा चला गया। इससे बड़ी दुख की घड़ी और क्या होगी। जिन परिवारों के चिराग बुझ गए। न्यूज127 इन शोकाकुल परिवारों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता है। उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है।