News 127. अद्भुत साहस और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन करते हुए विजय कुमार ने भारतीय भारोत्तोलन के इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कर लिया। छत्तीसगढ़ के इस होनहार एथलीट ने 38वें राष्ट्रीय खेलों में पुरुषों की 55 किग्रा भारोत्तोलन श्रेणी में स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। विजय ने क्लीन एंड जर्क में 143 किग्रा भार उठाकर राष्ट्रीय रिकॉर्ड की बराबरी कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की।
यह जीत केवल एक पदक नहीं, बल्कि संघर्षों से भरी एक अदम्य यात्रा का प्रमाण है। विजय का बचपन आर्थिक कठिनाइयों और आत्म-संदेह से जूझते हुए बीता। खेल-संबंधी पोषण या विशेष प्रशिक्षण की सुविधा न होने के कारण, उन्होंने सीमित संसाधनों में ही खुद को तैयार किया।
उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों में विजय ने कुल 248 किग्रा (स्नैच में 105 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 143 किग्रा) का भार उठाकर पहला स्थान हासिल किया। जब स्वर्ण पदक उनके गले में पड़ा, तो उनके संघर्ष और त्याग का सारा बोझ एक पल में गायब हो गया और केवल गौरव का एहसास बचा।
विजय कुमार की यह उपलब्धि सिर्फ व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि यह धैर्य, आत्म-विश्वास और अथक मेहनत की शक्ति को दर्शाती है। उनकी कहानी हर एथलीट के लिए प्रेरणा है कि यदि दृढ़ संकल्प अडिग हो, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती।
साधारण शुरुआत से राष्ट्रीय स्तर तक, विजय कुमार ने यह साबित कर दिया कि सच्ची मेहनत और संघर्ष से ही सफलता का ताज मिलता है।