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डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल में 19 अगस्त से 25 अगस्त तक चले वैदिक सप्ताह का समापन हो गया। आर्य प्रादेशिक प्रतिनिधि महासभा के तत्वाधान में विद्यालय में वैदिक सप्ताह मनाया गया। वैदिक सप्ताह का प्रारंभ प्रातः कालीन प्रार्थना सभा में प्रधानाचार्य मनोज कुमार कपिल के निर्देशन में आरंभ हुआ।
वेदों के महत्व को बताते हुए प्रधानाचार्य ने बताया कि वेद हमारे जीवन में इस प्रकार कार्य करते हैं जिस प्रकार हमारे शरीर में श्वास कार्य करती है। उन्होंने यह भी बताया कि वेदों से न केवल वातावरण शुद्ध एवं परिष्कृत होता है अपितु हमारा स्वास्थ्य भी अच्छा हो जाता है। प्रधानाचार्य जी ने बताया कि महर्षि दयानंद ने ईश्वर की सच्ची स्तुति उपासना को ही वास्तविक पूजा बताई है। वैदिक सप्ताह के अंतर्गत प्रत्येक दिन वैदिक यज्ञ भी विद्यालय की यज्ञशाला में विधिवत किया गया। प्रातः कालीन सभा में महर्षि दयानंद द्वारा रचित आर्याभिविनय के मंत्रों की व्याख्या छात्र-छात्राओं के समक्ष प्रस्तुत की गई जिससे छात्र-छात्राओं के हृदय में वेदों के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न हुई तथा उनको वेदों से होने वाले लाभ के बारे में भी बोध हुआ। विद्यालय की यज्ञशाला में प्रत्येक दिन क्रमशः ऋग्वेद शतकम, यजुर्वेद शतकम,सामवेद शतकम तथा अथर्ववेद शतकम के मंत्रों का उच्चारण कर यज्ञ किया गया।

19 अगस्त 2024 को प्रातः कालीन सभा में डॉ अनीता स्नातिका ने स न: पितेव मंत्र की सुंदर व्याख्या करते हुए यह बताया कि वेद के मंत्र हमारे शरीर में ऊर्जा का संचार करते हैं तथा नियमित रूप से वेदों को पढ़ने से न केवल बौद्धिक विकास होता है अपितु सभी का सर्वांगीण विकास होता है। उन्होंने यह भी बताया कि ईश्वर हमारे सभी दुखों का नाश करके तथा हमारे सभी दुर्गुणों को दूर करके हमें स्वस्थ तथा श्रेष्ठ बनाते हैं। प्रथम दिवस ऋग्वेद शतकम के 50मंत्रों का विधिवत यज्ञ किया गया जिसमें ईश्वर से प्रार्थना की गई कि ईश्वर आप सभी को स्वस्थ रखें सभी को सद्बुद्धि दें तथा संपूर्ण जगत का कल्याण करें।

वैदिक सप्ताह के द्वितीय दिवस संदीप उनियाल ने आदिति:द्यौ मंत्र की व्याख्या करते हुए विद्यार्थियों को बताया कि अखंडित पराशक्ति स्वर्ग है वही अंतरिक्ष रूप है वहीं पराशक्ति माता-पिता और पुत्र भी हैं। समस्त देवता पराशक्ति के ही स्वरुप हैं अंत्यज सहित चारों वर्णों के सभी मनुष्य परा शक्तिमय हैं, जो उत्पन्न हो चुका है और जो उत्पन्न होगा सब पराशक्ति के ही स्वरुप हैं। वैदिक सप्ताह के द्वितीय दिवस ऋग्वेद शतकम के 50 मंत्रों का विधिवत वैदिक पद्धति से मंत्रोच्चारण कर यज्ञ किया गया जिसमें छात्र-छात्राओं को यह बताया गया कि यज्ञ से अनेक लाभ हमको प्राप्त होते हैं धरती में अन्न उत्पन्न होने का मुख्य कारण वर्षा होती है जो यज्ञ से होती है और यज्ञ से ही संपूर्ण वातावरण शुद्ध होता है। वैदिक सप्ताह के तृतीय दिवस नितेश जगूड़ी ने छात्र-छात्राओं के समक्ष भद्रं कर्णेभि: मंत्र की बहुत ही सुंदर व्याख्या करते हुए बताया कि यह मंत्र हमें यह बताता है कि हमें सदैव सभी के कल्याण के विषय में सोचना चाहिए तथा किसी से ईर्ष्या या द्वेष नहीं करना चाहिए। द्वितीय दिवस यजुर्वेद शतकम के 50 मंत्रों का मंत्रोच्चारण वैदिक पद्धति से किया गया।
इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए वैदिक सप्ताह के तृतीय दिवस निशा शर्मा ने अग्निमीडे पुरोहितं की बहुत ही सुंदर व्याख्या करते हुए छात्र-छात्राओं को बताया कि अग्नि सर्वप्रथम वेद में पूजनीय है जो ऋग्वेद के प्रथम मंडल के प्रथम सूक्त में वर्णित है अतः मानव शरीर में भी अग्नि का वास होता है। इसलिए अग्नि की हमें सदैव उपासना करनी चाहिए। वैदिक सप्ताह के तृतीय दिवस यजुर्वेद शब्द कम के 50 मंत्रों का वैदिक मंत्र उच्चारण पद्धति से विधिवत वाचन कर यज्ञ किया गया। तृतीय दिवस में राष्ट्रीय सेवायोजना के छात्र-छात्राओं ने प्रधानाचार्य जी के साथ प्रकृति संरक्षण के लिए एक जन चेतना अभियान चलाया। सर्वप्रथम जगजीतपुर पुलिस चौकी में पहुंँचकर वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ सभी हमारे पुलिस रक्षकों का स्वागत किया तथा चौकी इंचार्ज को पौधा भेंट किया गया।



