मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के सानिध्य में दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार अर्धकुंभ: श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज
हरिद्वार
हरिद्वार में प्रस्तावित अर्धकुंभ मेला 2025 को लेकर अब साधु-संतों की नजर मुख्यमंत्री के निमंत्रण पर टिकी हुई है। सरकार के मुखिया के तौर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सभी अखाड़ों को आमंत्रित करेंगे। जिसके बाद ही सभी कुंभ पर्व के आयोजन की तैयारियों में जुटेंगे। हरिद्वार के अर्धकुंभ में सभी अखाड़े शामिल होंगे और अमृत स्नान भी करेंगे।
विदित हो कि श्री पंच दसनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज की अध्यक्षता में माया देवी मंदिर प्रांगण में जूना अखाड़े की बैठक आयोजित की गई। बैठक में हरिद्वार कुंभ पर्व 2027 के लिए मुख्यमंत्री की ओर से निमंत्ररण नही आने पर चर्चा हुई। जिसके बाद हरिद्वार कुंभ स्नान में भाग नही लेने की बात सामने आई।
मेलाधिकारी सोनिका और उप मेलाधिकारी दयानंद सरस्वती की अखाड़ा परिषद के तमाम पदाधिकारियों से बातचीत हुई। और मुख्यमंत्री की ओर से निमंत्ररण पत्र नही आने को लेकर गलतफहमी का पटाक्षेप हो गया।
जिसके बाद श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने कहा कि कुंभ, महाकुंभ या अर्धकुंभ – इन सभी का अर्थ केवल स्नान नहीं, बल्कि राज्य के विकास का पर्व भी होता है। उन्होंने कहा कि कुंभ मेले से पहले मुख्यमंत्री द्वारा अखाड़ों को आमंत्रित किया जाता है और साधु-संतों से बैठक कर उनके सुझावों के अनुसार विकास कार्यों की दिशा तय की जाती है। “हरिद्वार के अर्धकुंभ मेले को लेकर अभी तक मुख्यमंत्री, शासन या प्रशासन की ओर से अखाड़ों को प्रस्ताव या निमंत्ररण आता है।
महंत हरि गिरि महाराज ने यह भी जोड़ा कि परंपरा के अनुसार कुंभ की तैयारी का शुभारंभ तभी माना जाता है जब राज्य का मुख्यमंत्री सभी अखाड़ों को बुलाकर औपचारिक रूप से मेले में शामिल होने का निमंत्रण देता है। “जैसे ही निमंत्रण मिलेगा, सभी अखाड़े अर्धकुंभ में अपनी पूरी परंपरा, अनुशासन और भव्यता के साथ शामिल होंगे।
वहीं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी ट्रस्ट हरिद्वार के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने कहा कि कुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि सनातन परंपरा का गौरवपूर्ण उत्सव है। उन्होंने कहा — “राज्य का मुख्यमंत्री ही इस परंपरा में ‘राजा’ के समान होता है। महाकुंभ, कुंभ या अर्धकुंभ की शुरुआत सदा राजा अथवा मुख्यमंत्री के आमंत्रण से होती आई है। यह मेला साधु-संतों के लिए होता है, क्योंकि उन्हीं के स्नान से अमृत का प्रवाह प्रारंभ होता है, जिसमें देश-विदेश के श्रद्धालु स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं।”
महंत रवींद्र पुरी ने अन्य राज्यों के उदाहरण देते हुए कहा कि उज्जैन में होने वाले कुंभ के लिए वहां के मुख्यमंत्री ने सभी अखाड़ों को आमंत्रित कर दिया है। इसी तरह नासिक कुंभ के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने बैठक बुलाकर अखाड़ों को भूमि आवंटित की और विकास कार्यों के लिए पाँच-पाँच करोड़ रुपये की मांग पर सकारात्मक रुख दिखाया। “हमें जानकारी मिली है कि नासिक में अखाड़ों के लिए एक-एक करोड़ रुपये पहले ही स्वीकृत कर दिए गए हैं और शेष राशि मेला शुरू होने से पहले मिल जाएगी,” उन्होंने बताया।
श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से भी पूर्व में वार्ता हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि श्रीमहंत हरि गिरि महाराज जी के आगमन के बाद अखाड़ों को आमंत्रण दिया जाएगा। “अब महाराजश्री हरिद्वार पहुंच चुके हैं, हमें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री शीघ्र ही अखाड़ों को अर्धकुंभ के लिए आमंत्रित करेंगे, साधु-संतों के सुझाव लेंगे और मेले को ऐतिहासिक सफलता तक पहुंचाएंगे।



