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हमारे हिंदू धर्म में शरदीय नवरात्रों का विशेष महत्व है। इस बार नवरात्रों का प्रारंभ 3 अक्टूबर से हुआ है। इस बार नवरात्रों में तृतीय तिथि बढ़ाने के कारण अष्टमी महानवमी तथा दशहरा की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आईए जानते हैं कि अष्टमी नवमी तथा दसवीं किस दिन करना शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार उचित रहेगा।
इस बार पांच, छह अक्टूबर को सूर्य उदय के समय तृतीया तिथि के उदय होने से नवरात्रों में एक व्रत की विधि हो रही है। जिस कारण तिथियां को लेकर असमंजस की स्थिति है। अच्छी बात यह है कि शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार एक नवरात्रि तिथि की वृद्धि होना बहुत ही शुभ फल देने वाला बताया गया है। ज्योतिषाचार्य राहुल अग्रवाल के अनुसार इस बार अष्टमी तिथि का प्रारंभ 10 अक्टूबर दोपहर को 12:31 पर होगा इस दिन सूर्य उदय से लेकर दोपहर 12:31 तक सप्तमी तिथि रहेगी। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार सप्तमी तिथि के रहते अष्टमी तिथि का व्रत में अष्टमी के दिन होने वाला कन्या पूजन शुभ नहीं होता है, इसी कारण अष्टमी तिथि का पूजन अगले दिन सूर्य उदय कालीन तिथि अष्टमी में जो अगले दिन 11 अक्टूबर को दोपहर 12:06 तक रहेगी इसमें ही महा अष्टमी व्रत व कन्या पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा। 11 अक्टूबर को ही दोपहर 12:06 से नवमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी जो अगले दिन प्रात 10:58 तक विद्यमान रहेगी। महानवमी का पूजन व व्रत भी 12 अक्टूबर को ही करना शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार शुभ रहेगा। महानवमी का पूजन आप प्रातः 10:58 से पहले कर सकते हैं इसके बाद ही दशमी तिथि का प्रारंभ होगा जो अगले दिन प्रातः 9:08 पर समाप्त हो जाएगी इसी कारण विजयदशमी का पर्व 12 अक्टूबर को नवमी के साथ मनाना ही श्रेष्ठ रहेगा व दोपहर को दशहरे पूजन का शुभ मुहूर्त भी रहेगा तथा शस्त्र पूजन भी इसी दिन होगा और रात्रि के समय रावण दहन भी किया जाएगा.
विजयदशमी पूजा का शुभ मुहूर्त
विजयदशमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 2 मिनट से दोपहर 2:48 तक रहेगा, अभिजीत मुहूर्त प्रात 11:42 से दोपहर 12:28 तक रहेगा।





