72 वर्ष की सरस्वती देवी की आंखों में आई राहत की नमी, जब कलेक्टरेट से लौटा इंसाफ –
न्यूज127
एक मां जिसने तीन बेटों को पाल-पोसकर बड़ा किया, आज अपने ही जीवन के अंतिम पड़ाव पर भूख से लड़ रही थी। 72 वर्ष की सरस्वती देवी, कांपते कदमों से जब देहरादून कलेक्ट्रेट पहुँचीं, तो उनका चेहरा थकावट से भरा था, पर आंखों में उम्मीद की आखिरी चमक बाकी थी।
सरस्वती देवी ने जिलाधिकारी सविन बंसल के सामने अपनी आपबीती सुनाई—
“साहब, तीन बेटे हैं मेरे… सब अपने-अपने घर में खुश हैं। मैं अब अकेली रह गई हूं… पहले छोटे बेटे के साथ रहती थी, अब वह भी अलग हो गया। अब तो मेरी पेंशन ही सहारा है, लेकिन राशन डीलर भी मुझसे मुंह मोड़ गया।”
राशन कार्ड सूची से नाम हटाने का बहाना बनाकर जब विभाग ने महीनों से अनाज देना बंद कर दिया, तब भूख ने सरस्वती देवी को मजबूर कर दिया कि वे अपने सम्मान से ऊपर उठकर मदद मांगें।
जिलाधिकारी सविन बंसल ने जैसे ही यह सुना, तत्काल पूर्ति विभाग को तलब किया और महिला को तुरंत राशन दिलाने के निर्देश दिए। प्रशासन की कलम चलती, उससे पहले ही अधिकारी सरस्वती देवी के घर पहुँच चुके थे। उसी दिन उनका राशन कार्ड बहाल हुआ और पोषण सामग्री भी दी गई।
इस पूरी घटना ने यह साबित कर दिया कि प्रशासन की संवेदनशीलता आज भी ज़िंदा है। जिलाधिकारी ने साफ कहा > “बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों और असहायों का शोषण किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है। ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
मां की मुस्कान लौटाई प्रशासन ने…जब विभाग के कर्मचारी उनके घर राशन लेकर पहुँचे, तो सरस्वती देवी की आंखें भर आईं। कांपती आवाज़ में बस यही कह पाईं—
“ईश्वर का रूप है ये अधिकारी… अब भूख नहीं सता पाएगी…”
इस भावुक पल ने यह भी दिखा दिया कि एक जिम्मेदार और संवेदनशील प्रशासन कैसे टूटती उम्मीदों को फिर से जीवित कर सकता है।
IAS SAVIN BANSAL “जब कोई नहीं सुनता, तब मां की पुकार जिलाधिकारी तक पहुँची…”



