नवीन चौहान.
महिलाओं का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान वैदिक युग में भी रहा है। आज भी महिलाओं का शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान और सम्मान है, बीच में कुछ समय ऐसा आया था जब महिलाओं की स्थिति दयनीय हो गई थी। यह बात बीएम डीएवी स्कूल की प्रधानाचार्य लीना भाटिया ने न्यूज 127 से खास बातचीत में कही।
डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल के वैदिक आनंदोत्सव कार्यक्रम मे प्रतिभाग करने पहुंची लीना भाटिया ने कहा कि यह कार्यक्रम डीएवी परंपरा का एक भाग है। इस कल्चर में रहने वाला वह चाहे बच्चा हो या टीचर सभी आनंदित महसूस करते हैं। कहा कि आनंद भौतिक चीजों में नहीं अपनी पहचान और शक्ति को समझने में है। जिस तरह से अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाली ज्योति का महत्व होता है वही महत्व यहां भी दिखायी दिया।
कहा कि यदि महिला शिक्षित होगी तो पूरे समाज का उद्धार होना निश्चित है। हमारे पूर्वजों और विद्धानों ने भी कहा है कि एक शिक्षित महिला पूरे समाज को शिक्षित करने का कार्य करती है। डीएवी की सोच उत्थान की है। महिला सशक्तिकरण में भी डीएवी संस्था महत्वपूर्व भूमिका निभा रही है। महिलाओं को भी अपनी शक्ति को पहचान कर एक अच्छी गृहणी, मां, बेटी और कामयाब महिला बनकर सामने आना है।
उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा अपनों से ही होती है। हम यदि किसी की अच्छी बातें, अच्छे संस्कार अपनाते हैं यह हमारे लिए आगे का मार्ग प्रशस्त करने में सहायक साबित होता है। डीएवी संस्था प्रेरित करती है कि आगे बढ़े। यहां सभी को समान रूप से शिक्षा ग्रहण करते हैं। उन्होंने कहा कि आज बच्चों को मोबाइल युग से बाहर निकालकर लाना बड़ी बात है। इस कार्यक्रम के माध्यम से एक साथ एक मंच पर आकर बच्चों ने सनातन और संस्कृति से जुड़ने का अहसास कराया।



