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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में 2025—26 का पूर्ण बजट पेश किया। इस बजट में मध्यम वर्ग को काफी राहत दी गई है। बजट में 12 लाख तक की सालाना आय पर टैक्स में छूट दी गई है। बजट को लेकर उद्योगपतियों का भी मानना है कि यह बजट आर्थिक व्यवस्था को मजबूत बनाने में काफी महत्वपूर्ण दिखायी दे रहा है।
एसएमएयू इंटरनेशनल इंडस्ट्री एंड ट्रेड चैंबर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरेद्र गर्ग का कहना है कि बजट में पावर सेक्टर, जल जीवन मिशन और इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता दी गई है। विदेश व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिए अच्छे प्रयास किये हैं। रिसर्च एंड डवलपमेंट को बढ़ावा दिया गया है। आईआईटी और मेडिकल में सीटें बढ़ाने की बात कही गई है। साथ ही सबसे अच्छी बात जो अभी दिखायी दे रही है वह नए आयकर कानून को लेकर कही गई बात है। नए आयकर कानून से कैश बिल्डिंग प्रोजेक्ट तैयार होगा। जिससे इंडस्ट्रीज को भी लाभ होगा। रेगूलेटरी रिफार्म के लिए हाई पावर कमेटी जरूरी है, बजट में इस पर भी वित्त मंत्री ने अपनी बात रखी है, यह अच्छी बात है। बजट में मेडिसन में छूट का प्रावधान दिया गया है। कुल मिलाकर बजट के बारे में कहा जा सकता है कि आर्थिक गति को बढ़ाने और विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक व्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण कदम सरकार ने उठाया है।
जीएसटी में छूट न देने से व्यापारी निराश: लोकेश अग्रवाल
व्यापारी नेता लोकेश कुमार अग्रवाल का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए बजट मैं इनकम टैक्स में दी गई छूट स्वागत योग्य है। लेकिन जीएसटी की दरों में कोई छूट न देने से व्यापारी जगत में निराशा है। नगद लेनदेन की सीमा को नहीं बढ़ाया क्या है। बढ़ती महंगाई को देखकर नगर लेनदेन की सीमा को बढ़ाना अत्यंत आवश्यक था। व्यापारियों की पेंशन व दुर्घटना बीमा की मांग को भी बजट में शामिल नहीं किया गया है। बजट को चुनावी माहौल को देखकर बनाया गया। टैक्स के कानूनो में सरलीकरण नहीं किया गया। जीएसटी में सजा के प्रावधानों को खत्म किया जाना आवश्यक था।
पेंशन को आयकर से मुक्त रखना चाहिए था: जेपी चाहर
उत्तर प्रदेश उत्तराखंड पेंशनर्स समन्वित मंच के मुख्य संयोजक जेपी चाहर ने केंद्रीय बजट को पिछले 10 वर्षों की तुलना में बजट को अपेक्षाकृत संतोषजनक बताते हुए कहा कि स्टैण्डर्ड डिडक्सन को कम से कम डेढ़ लाख किया जाना चाहिए। पेंशन को आय कर से मुक्त रखना चाहिए था। चाहर ने बताया कि अगले वर्ष जनवरी से आठवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के लागू हो जाने की दशा में कर्मचारी पेंशनर्स को मिलने वाली कुल परिलब्धियों में बृद्धि होगी जो इस सीमा तक पहुंचने की संभावना है कि प्रत्येक कर्मचारी तथा पेंशनर को टैक्स देना पड़ेगा और नतीजा बराबर ही रह सकता है। आयकर व्यवस्था को जटिल बनाकर करदाताओं को परामर्शदाताओं के पास जाने को बाध्य किया गया है, जिससे कर्मचारी पेंशनर का शोषण हो सकता है।