RITU KHANDURI उत्तराखंड की राजनीति में ईमानदार और दमदार ऋतु खंडूरी की बढ़ती लोकप्रियता




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न्यूज127
उत्तराखंड की राजनी​ति में यूं तो ईमानदार चेहरों की कमी हमेशा देखने को मिली है। राज्य गठन के बाद 25 सालों में अभी तक उत्तराखंड में सत्ता ​हथियाने को लेकर बगावत चलती रही। मुख्यमंत्री की कुर्सी हमेशा से हिचकौले खाती रही। सीएम चेहरे को बदलने का मुददा सियासत में गरमाया रहा। जबकि उत्तराखंड के सर्वागीण विकास का मुददा गौण रहा। कर्ज में डूबे उत्तराखंड की सुध किसी ने नही ली। जबकि उत्तराखंड की सत्ता की बागडोर हमेशा पुरूषों के हाथों में रही। यहां महिलाओं का राजनैतिक वर्चस्व कायम नही हो पाया। उत्तराखंड की सियासत में अगर महिलाओं की बात करें तो कोटद्वार विधायक ऋतु खंडूरी एक ऐसा नाम है जो ईमानदार छवि के रूप में जाना जाता है। वह जनसेवा करते हुए राजनैतिक जमीन को मजबूत करती दिखाई देती है। इसी के चलते उनकी लोकप्रियता का ग्राफ भी तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। समूचे उत्तराखंड में उनकी स्वीकार्यता है और महिलाओं की पसंद भी है। विवादों से दूर—दूर तक उनका कोई नाता नही है।
राजनीति के क्षेत्र में ईमानदारी की अलख जगाने वाली ऋतु खंडूरी भूषण ने अपने काम से अपनी पहचान स्थापित की है। शिक्षित होने के साथ ही विकास की सोच रखती है। अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी के आर्दशों को अनुसरण करते हुए ही उन्होंने समाजसेवा के क्षेत्र से राजनीति के मैदान में कदम बढ़ाए। राजनीति में रहकर समाजसेविका के तौर पर कार्य किया। जनता से सीधा संवाद किया और उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया। जनता के हितों में निर्णय लिए और अपनी विधायक निधि का खर्च भी प्राथमिकता के तौर पर जनता की समस्याओं के अनुरूप किया। यमकेश्वर विधानसभा से पहली बार विधायक बनने के बाद उन्होंने पर्वतीय क्षेत्र का विकास किया। दूसरी बार कोटद्वार से विधायक बनी तो विधानसभा अध्यक्ष बनने का दायित्व मिला।
विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठकर ऋतु खंडूरी ने विधानसभा भर्ती घोटाले में पूरी पारदर्शिता के साथ निर्णय किया। विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठकर ईमानदारी से कर्तव्य का निर्वहन किया तो उनके नाम के चर्चे समूचे उत्तराखंड में होने लगे। जहां उनकी ​लोकप्रियता को भी ऊंचाइयां मिली।
लेकिन उनके विरोधियों को उनका बढ़ता राजनैतिक कद रास नही आया। उनके बढ़ते कदमों को रोकने के प्रयास भी किए गए। उनकी ईमानदार और पारदर्शी कार्यशैली को विवादों में घसीटने का प्रयास किया गया। सांच को आंच नही कि तरह ही ऋतु खंडूरी की ईमानदारी उनकी ताकत बनकर उभरी।
ही कारण रहा कि उनका नाम कई बार मुख्यमंत्री की रेस में भी आया। जब भी उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं को हवा मिली तो उत्तराखंड में महिला मुख्यमंत्री के तौर पर ऋतु खंडूरी को जनता की पसंद भी माने जाने लगा। हालांकि ऋतु खंडूरी ने कभी खुद को सीएम के रूप में प्रोजेक्ट नही किया। ना ही उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की कोई इच्छा जाहिर की। उन्होंने खुद को भाजपा कार्यकर्ता मानते हुए जनसेवा करना ही बताया।
लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि जब विधानस
भा सत्र के दौरान प्रेमचंद्र अग्रवाल के आपत्तिजनक शब्द के प्रकरण में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी को विवादों में घसीटने का प्रयास किया गया। ऋतु खंडूरी की पारदर्शी कार्यशैली को विवादों में लाने का प्रयास किया गया। लेकिन इस पूरे प्रकरण के बाद ऋतु खंडूरी को नई ताकत मिली और राजनीति के कुछ अध्याय समझने को मिले।