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वनों में लगने वाली आग से वन्य जीवों को ही नुकसान नहीं पहुंचता बल्कि मानव स्वास्थ्य को भी नुकसान होता है। इसका असर हमारे वैदर पर भी प्रतिकूल होता है। यह कहना है कि वन मंत्री सुबोध उनियाल का।
वन मंत्री सुबोध उनियाल सोमवार को हरिद्वार के जगदगुरू राजराजेश्वराश्रम महाराज से मिलने उनके कनखल स्थित आश्रम में पहुंचे थे। यहां मीडिया से वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों की तुलना में वनाग्नि की घटनाओं में लगातार कमी आयी है। वनों की आग को रोकने के लिए आधुनिक उपकरणों से वन विभाग को लैस किया जा रहा है। अनुभवी पीसीसीएफ रैंक के फोरेस्ट अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाया गया है। कहा कि वनाग्नि से होने वाले नुकसान से आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रखने के लिए हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम स्वयं वनाग्नि की घटनाओं को रोकने में सहयोग करें। बंदरों की बढ़ती समस्या को लेकर कहा कि हम करीब 80 प्रतिशत बंदरों का बधियाकरण करा चुके हैं, इससे बंदरों की तेजी से बढ़ती जनसंख्या पर अंकुश लगने से समस्या का समाधान होगा। विकास योजनाओं में काटे जा रहे पेड़ पौधों के सवाल के जवाब में कहा कि यह बात सही है कि वर्तमान में पर्यावरण की चुनौती है, लेकिन सरकार इस पर गंभीर हैं। वन भूमि हस्तांतरण होती है तो उतनी ही भूमि में पौधा रोपण किया जाता है। विकास सतत प्रक्रिया है लेकिन सरकार लगातार कैम्पा आदि योजनाओं के माध्यम से हर साल पौधा रोपण करा रही है। आम लोगों को भी वृक्षारोपण के प्रति जागरूक किया जा रहा है। मंत्री मंडल विस्तार के सवाल पर कहा कि यह राष्ट्रीय स्तर का मामला है। इस पर वह कोई जवाब नहीं दे सकते। वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में वन मंत्री ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति ने खुद से इस्तीफा दिया है उस पर मेरी प्रतिक्रिया देना सही नहीं है। मेरा मानना है कि यह बहुत पहले कर देना चाहिए था।
वनों में लगने वाली आग मानव स्वास्थ के लिए भी हानिकारक: सुबोध उनियाल




