आर्य समाज के ध्वजवाहक डॉ महावीर अग्रवाल का निधन, बुझा ज्ञान का दीपक




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न्यूज127
आर्य समाज के ध्वजवाहक विद्धान डॉ महावीर अग्रवाल का बीमारी के चलते निधन हो गया। हिंदी और संस्कृत भाषा के विद्वान पंडित, प्रखर वक्ता, पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ महावीर अग्रवाल का निधन 74 साल की आयु में हुआ। डॉ महावीर अग्रवाल का बेंगलुरु में उपचार चल रहा था। वह पिछले काफ़ी समय से बीमार चल रहे थे।
डॉ. महावीर अग्रवाल ने पतंजलि विश्वविद्वालय से पूर्व गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्वालय, उत्तराखंड संस्कृत अकादमी व उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में शीर्ष पदों पर आसीन रहकर युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कार, संस्कृति और ज्ञान दिया। डॉ. अग्रवाल ने अपने जीवन काल में कई पुस्तकें लिखीं व कुछ पुस्तकों का संपादन भी किया। डॉ. महावीर अग्रवाल विद्वान लेखक, कुशल वक्ता, विचारक और समाजसेवी थे। उनके परिवार में दो बेटे व पत्नी हैं। अंतिम समय में वह अपने छोटे बेटे के साथ बेंगलुरु में थे। कल सुबह तक उनकी पार्थिव देह हरिद्वार पहुँचने की खबर है। उनके परिवार से सम्बद्ध भाई रजत जैन के अनुसार कल दोपहर बाद उनका अंतिम संस्कार कनखल शमशान घाट पर होगा।
डॉ महावीर अग्रवाल का अधिकतम जीवन पुण्य भूमि गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्वालय के परिसर में बीता। बेहद मृदुभाषी डॉ महावीर अग्रवाल ने आर्य समाज का प्रचार प्रसार किया। नित्य हवन यज्ञ करना और वैदिक ज्ञान के समुद्र में नई युवा पीढ़ी को गोते लगाना उनकी खूबी में शामिल था।
डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य मनोज कपिल ने डॉ महावीर अग्रवाल के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनका आकस्मिक निधन समाज के लिए अपूणीय क्षति है। उनके वैदिक ज्ञान की प्रखर वाणी हमेशा स्मरण रहेगी। उन्होंने स्कूल के वैदिक चेतना सम्मेलन व वैदिक आनन्दोत्सव कार्यक्रमों में मुख्य वक्ता के तौर पर आकर नई युवा पीढ़ी के बच्चों को वैदिक ज्ञान दिया। भगवान उनकी पवित्र आत्मा को चरणों में स्थान दे और शोकाकुल परिवार को दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करे।

डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल के पूर्व प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित ने उनके निधन पर स्मृति को प्रणाम किया। उन्होंने कहा कि वह जीवंत प्राणी थे। उन्होंने आर्य समाज के प्रचार—प्रसार के लिए बहुत कार्य किए। बहुत यादे जुड़ी है। उनके निधन की खबर स्तब्ध करने वाली है। भगवान से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।