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डीएवी पब्लिक स्कूल देहरादून के विद्यालय प्रांगण में 55 वां विश्व पृथ्वी दिवस बड़े ही धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। विद्यालय प्रांगण में मुख्य अतिथि सीसी जोशी व प्रधानाचार्या शालिनी समाधिया ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। दीप प्रज्जवलन इस आशा से परिपूर्ण होकर किया गया कि दीपक का प्रकाश हमारे हृदय में विद्यमान अज्ञानता रूपी तिमिर का नाश कर हमें प्रकृति संरक्षण के लिए प्रेरित करेगा। इस अवसर पर विद्यार्थियों को पर्यावरण के प्रति जागरूक व संवेदनशील बनाने हेतु कई रचनात्मक गतिविधियों का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत ‘ओम पृथ्वी त्वया धृता लोका’ पंक्ति को आधार मानकर जीवनदायनी धरा को शत-शत नमन करते हुए पृथ्वी दिवस के महत्त्व को समझाते हुए कविता गायन से हुई। तत्पश्चात अंतर सदन भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
जिसमें विद्यार्थियों ने ‘क्या इलेक्ट्रॉनिक वाहन वास्तव में पर्यावरण के अनुकूल है?’विषय के पक्ष में अपने विचार प्रस्तुत किए। इस प्रतियोगिता में मन्नत (सरस्वती सदन) ने प्रथम, सौम्या पुरवाल (मंदाकिनी सदन) ने द्वितीय व लक्की चौहान (अलकनंदा सदन) ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

प्राथमिक कक्षाओं के छात्रों ने भी छोटी-छोटी कविताओं व स्लोगन के माध्यम से सभी दर्शकों को पृथ्वी को सुंदर बनाए रखने के लिए प्रेरित किया।
गतिविधियों की इस श्रृंखला में कक्षा 4,6,7 के छात्रों ने नारा लेखन और पर्यावरण संरक्षण पर कविता लेखन जैसी विभिन्न गतिविधियों में भाग लिया।

नारा लेखन गतिविधि में बच्चों ने जैसे – “धरती बचाओ, जीवन बचाओ”, “हरियाली है जहांँ, खुशहाली है वहांँ” जैसे प्रभावशाली नारों के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत किए।
कविता लेखन गतिविधि में पर्यावरण से जुड़ी रचनात्मक और भावनात्मक कविताएंँ सुनने को मिलीं, जिनमें बच्चों ने अपनी भावनाओं को सुंदर शब्दों में पिरोया।
कक्षा 5 और 8 के विद्यार्थियों ने बुकमार्क बनाते समय पेड़-पौधे, धरती, जल और वायु की सुरक्षा पर चित्र बनाकर सुंदर संदेश लिखे।

*इस वर्ष पृथ्वी दिवस की थीम है ‘हमारी शक्ति हमारा ग्रह’। जिसके अंतर्गत जीवाश्म इंधनों के स्थान पर नवीकरणीय स्रोतों के उपयोग पर जोर दिया जाएगा। इसी शीर्षक को ध्यान में रखते हुए ‘गूंज’ नामक प्रसिद्ध सामाजिक संस्था के कार्यकर्ताओं को विद्यालय प्रांगण में आमंत्रित किया गया। विद्यालय में उपस्थित शिक्षकों व विद्यार्थियों ने मिलकर, स्वयं के लिए अनुपयोगी समझे जाने वाले पुराने कपड़े ,पुस्तक- पुस्तिकाएंँ, पेन -पेंसिल आदि वस्तुएंँ इस संस्था को दान में दी।
इन गतिविधियों का उद्देश्य विद्यार्थियों में प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता और जागरूकता बढ़ाना था। अतिथियों ने छात्रों द्वारा किए गए इन प्रयासों की सराहना की और बच्चों को प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम के अंत में सभी छात्रों ने संपूर्ण जीवन पृथ्वी के प्रति अपने कर्तव्यों का वहन करने की शपथ ली।
मुख्य अतिथि द्वारा छात्रों को संबोधित करते हुए कहा गया कि ऋग्वेद के पृथ्वी सूक्त में 63 मंत्र है जिसमें पृथ्वी को माता व देवी के रूप में प्रतिष्ठित कर उनके महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है।
कार्यक्रम के अंत में प्रधानाचार्या श्रीमती शालिनी समाधिया ने प्रकृति के संरक्षण हेतु छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में वैदिककाल से ही पृथ्वी को एक दिव्य प्राणी के रूप में सम्मान दिया गया है इसलिए इनका दोहन करना हमारे व हमारी आगामी पीढ़ी के लिए कल्याणकारी नहीं है। उन्होंने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि हमारे लिए अनुपयोगी समझी जाने वाली वस्तुएंँ किसी अन्य के लिए अनमोल साबित हो सकती है। इस प्रकार हम कहीं न कहीं पर्यावरण संरक्षण में भी अपना अमूल्य योगदान देते है। हमारे द्वारा किया गया प्रत्येक छोटे से छोटा प्रयास प्रकृति संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान निभाएगा।