नवीन चौहान
उत्तराखंड में नशे के खिलाफ एक निर्णायक युद्ध छिड़ चुका है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में राज्य सरकार ने बिना पंजीकरण चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों के खिलाफ सख्त अभियान शुरू कर दिया है। पूरे प्रदेश में औचक निरीक्षण चल रहे हैं, और मानक न पूरा करने वाले संस्थानों को आर्थिक दंड और तत्काल बंदी की चेतावनी दे दी गई है।
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि यह अभियान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्पष्ट निर्देशों के तहत शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य है — नशा मुक्त उत्तराखंड और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाना।
अब कोई मनमानी नहीं चलेगी
प्रदेश में नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्रों की हर गतिविधि पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। सभी जिलों में जिलाधिकारी स्वयं मोर्चा संभालेंगे। हर केंद्र की पंजीकरण स्थिति, सुविधाएं, स्टाफ, इलाज की गुणवत्ता — सब कुछ खंगाला जा रहा है।
देहरादून-हरिद्वार में औचक निरीक्षण, खुली पोल
देहरादून के सेलाकुई और हरिद्वार के जीवन ज्योति केंद्र में औचक निरीक्षण में कई खामियां सामने आईं। कई जरूरी सुविधाएं नदारद थीं। केंद्रों की रिपोर्ट तैयार कर कड़ी कार्रवाई के आदेश दे दिए गए हैं।
133 केंद्र अनंतिम पंजीकरण पर, अब होगा अंतिम सत्यापन
फिलहाल राज्य में 133 मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (नशा मुक्ति केंद्रों सहित) अनंतिम पंजीकरण पर चल रहे हैं। सरकार ने साफ किया है कि स्थल निरीक्षण और दस्तावेज़ सत्यापन के बिना कोई भी संस्थान आगे नहीं चलेगा।
हर जिले में हर महीने होगी बोर्ड मीटिंग
अब हर जिले में मानसिक स्वास्थ्य पुनर्विलोकन बोर्ड की कम से कम एक बैठक अनिवार्य कर दी गई है, ताकि निरीक्षण और नियंत्रण की प्रक्रिया सतत बनी रहे।
केवल वही संस्थान रहेंगे जिनमें हो गुणवत्ता और पंजीकरण
स्वास्थ्य सचिव आर राजेश ने स्पष्ट किया है — बिना वैध पंजीकरण चलने वाले संस्थानों पर अब सख्त कार्रवाई होगी। सिर्फ वही केंद्र राज्य में चल सकेंगे जो सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मानकों को पूरा करते हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी का नशे के खिलाफ बड़ा एक्शन: नशा मुक्ति केंद्रों पर छापा, दर्जनों पर कार्रवाई तय



