13 साल की लड़की के सुसाइड नोट ने खड़े कर दिये रोंगटे




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कक्षा 7 की छात्रा का सुसाइड नोट, लिखा मेरे बॉडी को दान कर दिया जाए

न्यूज 127.
सुसाइड का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरी मानवता को हिलाकर रख दिया है। कक्षा 7 में पढ़ने वाली एक 13 साल की बच्ची ने मां की डांट से क्षुब्ध होकर यह आत्मघाटी कदम उठाया। उसने सुसाइड नोट छोड़ा जिसमें लिखा था कि मेरे बॉडी को किसी जरूरतमंद को दान कर देना और मेरे भाई को मेरा सामान दे देना।

बच्ची ने लिखे दो सुसाइड नोट
पुलिस ने बच्ची की बॉडी और सुसाइड नोट लेकर जांच पड़ताल शुरू कर दी है। यह मामला मध्य प्रदेश के भोपाल में कटारा हिल्स इलाके से सामने आया है। डिजिटल मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार सोमवार सुबह एक 13 साल की बच्ची ने अपने कमरे में आत्महत्या कर ली। मृतका सातवीं कक्षा की छात्रा थी और अपने दो छोटे भाईयों में सबसे बड़ी थी। शुरुआती जानकारी के अनुसार, बच्ची ने मौत से पहले दो सुसाइड नोट लिखे, जिनमें एक में उसने देह दान की इच्छा जताई और दूसरे में अपने भाई के लिए कंप्यूटर टेबल और कमरे की चीजें देने की अपील की।

कॉपी न मिलने पर मां ने डांट दिया था
पुलिस की मानें तो सुबह के समय बच्ची के माता-पिता और भाई स्कूल जाने के लिए तैयारी कर रहे थे। बड़े भाई को मां और छोटे भाई को पिता स्कूल छोड़ने जाते थे। बच्ची की मां सिविक्स की कॉपी ढूंढ रही थी, जो स्कूल में चेक होने वाली थी। कॉपी न मिलने पर मां ने बच्ची को डांटा। डांट के बाद वह बड़े बेटे को और पति छोटे बेटे को स्कूल छोड़ने के लिए निकल गए। जब वे लौटे, तो पाया कि उनकी बेटी घर में कहीं नहीं दिख रही है। दोनों उसे खोजने लगे। खोजते-खोजते मकान के फर्स्ट फ्लोर पर पहुंचे तो वहां उनकी बेटी अपने कमरे में फांसी के फंदे से लटकी हुई थी।

भावुक अपील या कुछ और, छोड़े कई सवाल
कमरे से एक नोट टिश्यू पेपर पर लिखा मिला जिसमें उसने मरने के बाद देह दान करने की इच्छा व्यक्त की। दूसरे नोट में उसने कहा कि उसकी चीजें भाई को दे दी जाएं, जैसे कि कंप्यूटर टेबल और उसका रूम। ये नोट्स केवल एक भावुक अपील नहीं, बल्कि परिवार और पुलिस के लिए कई सवाल छोड़ गए हैं। क्या यह सिर्फ आवेश में किया गया कदम था या कहीं कोई गुप्त मानसिक दबाव भी था। माता-पिता और भाई इस घटना से सदमे में हैं। परिवार का कहना है कि बच्ची आमतौर पर खुशमिजाज और पढ़ाई में अच्छी थी। हालांकि, माँ की डांट और कॉपी न मिलने की वजह से बच्ची पर मानसिक दबाव बढ़ा, जिसने यह गंभीर कदम उठाने को प्रेरित किया।