महिला आयोग ने देहरादून को असुरक्षित शहर बताने वाले सर्वे को किया खारिज, Ssp ने जारी किये आंकड़े




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न्यूज 127.
उत्तराखंड राज्य महिला आयोग ने “पी वैल्यू एनालिटिक्स” द्वारा हाल ही में प्रकाशित NARI-2025 सर्वे को खारिज कर दिया है। इस सर्वे में देहरादून को देश के 10 असुरक्षित शहरों में शामिल किया गया था। आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह सर्वे न तो राष्ट्रीय महिला आयोग और न ही राज्य महिला आयोग द्वारा कराया गया और न ही किसी सरकारी संस्था से जुड़ा है। राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि यह सर्वे अपराध आंकड़ों पर आधारित नहीं, बल्कि व्यक्तिगत धारणा और सीमित सैम्पल पर आधारित है।

सर्वेक्षण में देश के 31 शहरों को शामिल किया गया था और यह CATI (Computer Assisted Telephonic Interviews) एवं CAPI (Computer Assisted Personal Interviews) पद्धति पर आधारित था। देहरादून की लगभग 9 लाख की महिला आबादी में से केवल 400 महिलाओं से टेलीफोनिक इंटरव्यू के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया। आयोग ने स्पष्ट किया कि इतनी छोटी संख्या को पूरे शहर की महिला सुरक्षा की वास्तविक स्थिति मानना उचित नहीं है।

सर्वे रिपोर्ट में महिला सुरक्षा एप्स के उपयोग को मात्र 4 प्रतिशत दर्शाया गया, जबकि वास्तविकता में देहरादून जिले में गौरा शक्ति एप में 1.25 लाख महिलाओं ने पंजीकरण कराया है, जिनमें से 16,649 केवल देहरादून जिले की हैं। इसके अतिरिक्त, डायल 112, उत्तराखंड पुलिस एप, सीएम हेल्पलाइन और पुलिस वेबसाइट के सिटीजन पोर्टल का महिलाओं द्वारा नियमित रूप से उपयोग किया जा रहा है।

एसएसपी देहरादून अजय सिंह ने प्रेस वार्ता कर आंकड़े जारी किए और देहरादून को सुरक्षित शहर बताया। सर्वे की विश्वसनीयता को संदेहजनक बताया।

सर्वेक्षण में पुलिस से जुड़े दो बिंदु – पुलिस पेट्रोलिंग और क्राइम रेट – भी तथ्यों से मेल नहीं खाते। रिपोर्ट के अनुसार, सर्वाधिक सुरक्षित शहर कोहिमा का पुलिस पैट्रोलिंग स्कोर 11 प्रतिशत है, जबकि देहरादून का स्कोर 33 प्रतिशत है। सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर रिपोर्ट में पूरे देश का स्कोर 7 प्रतिशत और देहरादून का 6 प्रतिशत बताया गया। हाई क्राइम रेट में देहरादून का स्कोर 18 प्रतिशत दिखाया गया, जो वास्तविक आंकड़ों से मेल नहीं खाता।

वास्तविक आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2025 में डायल 112 पर 12,354 शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें से केवल 2,287 (18%) शिकायतें महिलाओं से संबंधित थीं। इनमें से अधिकांश शिकायतें घरेलू झगड़ों से जुड़ी थीं, और केवल 11 शिकायतें लैंगिक अपराध/छेड़खानी से संबंधित थीं। महिला अपराधों पर पुलिस का औसत रिस्पांस टाइम 13.33 मिनट है, जो सुरक्षा के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है।

देहरादून में बाहरी राज्यों से लगभग 70,000 छात्र और छात्राएं अध्ययनरत हैं, जिनमें 43% छात्राएं हैं। शहर में कई विदेशी छात्र भी पढ़ाई कर रहे हैं। महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वन स्टॉप सेंटर, महिला हेल्पलाइन, S.O.S. बटन, पिंक बूथ, एकीकृत सीसीटीवी सिस्टम जैसी सुविधाएं सक्रिय हैं। शहर में कुल 14,000 सीसीटीवी कैमरे कार्यरत हैं और सभी कैमरों की गूगल मैपिंग की जा चुकी है। इसके अलावा, पुरुष और महिला पुलिसकर्मियों के साथ पुरूष और महिला चीता टीमें निरंतर निगरानी रख रही हैं।

महिला आयोग ने कहा कि सर्वेक्षण में शहर की सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधताओं को ध्यान में नहीं रखा गया और सुरक्षा की धारणा आयु, जीवनशैली और अनुभव पर भी निर्भर करती है। नाइट लाइफ जैसी पैरामीटर को देहरादून पर लागू करना भी वास्तविक नहीं है, क्योंकि यह एक शांत शहर है।

आयोग ने स्पष्ट किया कि देहरादून शहर हमेशा से सुरक्षित शहरों में गिना जाता है। शहर में प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान, केंद्रीय संस्थान और पर्यटन स्थल स्थित हैं, जहां देश-विदेश के छात्र और पर्यटक सुरक्षित वातावरण में रहकर अध्ययन और पर्यटन कर रहे हैं। अधिकारियों का मानना है कि नीति निर्माण और सार्वजनिक निर्णयों के लिए सर्वेक्षण की पद्धति, सैम्पलिंग, प्रश्नावली और सुरक्षा की परिभाषा में पारदर्शिता आवश्यक है।

विदित हो कि देहरादून की सुरक्षा को लेकर निजी सर्वेक्षण की धारणा वास्तविकता पर आधारित नहीं है। महिला आयोग ने स्पष्ट किया कि यह सर्वेक्षण केवल अवधारणाओं पर आधारित है, जबकि पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के सभी मानकों को सुदृढ़ किया है।