हरिद्वार मास्टर प्लान 2041: हरिद्वार के विकास, व्यापार और निर्माण गतिविधियों पर संकट




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हरिद्वार।
हरिद्वार के लिए प्रस्तावित मास्टर प्लान–2041 को
लेकर विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। विशेषज्ञों और व्यापारी वर्ग का कहना है कि यह मास्टर प्लान औचित्यहीन, अव्यावहारिक और जमीनी हकीकत से कोसों दूर है। इस मास्टर प्लान में उत्तरी हरिद्वार, अपर रोड, श्रवणनाथ नगर एवं मध्य हरिद्वार को पूर्ण विकसित क्षेत्र घोषित किया गया है, जिसका सीधा असर यह होगा कि इन इलाकों में अब होटल, शोरूम अथवा व्यावसायिक कॉम्पलेक्स के नक्शे स्वीकृत नहीं हो पाएंगे।
हरिद्वार आर्किटेक्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सैनी ने इस मास्टर प्लान को तकनीकी खामियों से भरा बताया। उनका कहना है कि व्यापारी वर्ग फिलहाल इसकी जटिलताओं को पूरी तरह समझ नहीं पा रहा है, लेकिन यदि यह लागू हुआ तो भविष्य में व्यापार और निर्माण गतिविधियों को लेकर गंभीर समस्याएं खड़ी हो जाएंगी। हालांकि विभिन्न व्यापार मंडलों द्वारा इस मास्टर प्लान पर आपत्तियां भी दर्ज कराई जा चुकी हैं, लेकिन अब तक उनकी सुनवाई नहीं हो सकी है।
संजय सैनी ने चेतावनी देते हुए कहा कि मास्टर प्लान 2041 लागू होने की स्थिति में आश्रमों के नक्शे भी कोर कमेटी के माध्यम से पास कराए जाएंगे, जो एक अत्यंत जटिल, समयसाध्य और पेचीदा प्रक्रिया होगी। इससे धार्मिक संस्थानों के निर्माण और विस्तार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने यह भी बताया कि मास्टर प्लान 2025 से 2041 के बीच प्रस्तावित परिवर्तनों में खन्ना नगर, गोविंदपुरी, डिग्री कॉलेज रोड जैसी पहले से विकसित कॉलोनियों में सड़कों की चौड़ाई 120 फीट दर्शाई गई है। इसका सीधा-सीधा मतलब यह होगा कि वर्तमान विकसित हरिद्वार को ही हरिद्वार से बाहर ले जाकर बसाने की स्थिति पैदा हो जाएगी, जो अपने आप में एक बड़ा और गंभीर प्रश्न है।
अफसरशाही द्वारा तैयार किए गए इस बेतुके मास्टर प्लान से आहत होकर इंजीनियर संजय सैनी ने माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल में जनहित याचिका दाखिल की है। माननीय उच्च न्यायालय ने इस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है, जिससे प्रभावित वर्गों में कुछ उम्मीद जगी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मास्टर प्लान हरिद्वार के पारंपरिक व्यापार और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर सीधा प्रहार है। इसे व्यापारियों को उजाड़ने की नीति करार दिया जा रहा है। लगातार अनदेखी और कहीं भी प्रभावी सुनवाई न होने के कारण कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इंजीनियर संजय सैनी को जनहित में न्यायालय की शरण लेनी पड़ी है।
अब सभी की निगाहें माननीय उच्च न्यायालय की आगामी सुनवाई पर टिकी हैं, जहां से हरिद्वार के भविष्य और उसके विकास की दिशा तय होने की उम्मीद की जा रही है।