न्यूज127, हरिद्वार
हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण से आईएएस अंशुल सिंह की विदाई के बाद मानो अवैध निर्माण को खुला मैदान मिल गया है। हरिद्वार की चारों दिशाओं में छोटे-बड़े अवैध निर्माण धड़ल्ले से खड़े हो रहे हैं और कॉलोनाइजर बिना किसी भय के नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं। स्थिति यह है कि जिन स्थानों पर कभी प्राधिकरण की सख्ती का खौफ रहता था, वहां अब निर्माण कार्य पूरी रफ्तार से जारी है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि दिसंबर की सर्दी के साथ-साथ प्राधिकरण के अधिकारियों पर भी जैसे सुस्ती हावी हो गई है। कार्रवाई के नाम पर कभी-कभार एक-आध औपचारिक कदम उठाकर जिम्मेदारी पूरी कर ली जाती है। सुबह सूरज निकलने के बाद कहीं एक नोटिस, कहीं एक सीलिंग और फिर पूरे दिन की इतिश्री। इस कार्यशैली ने प्राधिकरण की गंभीरता पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
आईएएस अंशुल सिंह के कार्यकाल को याद किया जाए तो एचआरडीए का इकबाल बुलंद नजर आता था। उनके सख्त निर्देशों में जहां एक ओर जनहित से जुड़े अनेक विकास कार्य समयबद्ध ढंग से कराए गए, वहीं दूसरी ओर अवैध कॉलोनी बसाने वाले कॉलोनाइजरों में साफ खौफ दिखाई देता था। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर त्वरित कार्रवाई, सीलिंग और ध्वस्तीकरण से यह संदेश जाता था कि कानून से ऊपर कोई नहीं।
लेकिन अब हालात बिल्कुल उलट दिखाई दे रहे हैं। अवैध निर्माण का खेल फिर से तेज हो गया है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या प्राधिकरण की निगरानी व्यवस्था कमजोर पड़ गई है या फिर जानबूझकर आंखें मूंदी जा रही हैं।
शहर के जागरूक नागरिकों और सामाजिक संगठनों की मांग है कि एचआरडीए को फिर से उसी सख्ती और पारदर्शिता के साथ काम करना चाहिए, जैसी अंशुल सिंह के कार्यकाल में देखने को मिली थी। यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो अवैध निर्माण की यह बाढ़ भविष्य में शहर की योजनाबद्ध विकास प्रक्रिया के लिए बड़ा संकट बन सकती है।
एचआरडीए से अंशुल सिंह की विदाई के बाद बेलगाम हुआ अवैध निर्माण, सवालों के घेरे में प्राधिकरण की कार्यशैली



