छात्रवृत्ति घोटालें में तीन आरोपी गिरफ्तार, जबकि चार आरोपी जेल में फरमा रहे आराम




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नवीन चौहान
छात्रवृत्ति घोटाले में एसआईटी ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर सनसनी मचा दी। आरोपियों ने कॉलेज बंद करने के बावजूद फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर सरकार की आंखों में धूल झोंकते हुए 2 करोड़ 54 लाख 10 हजार 440 रूपये की धोखाधड़ी की। एसआईटी ने आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया है।
स्ववित्त पोषित शैक्षणिक संस्थानों की छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही एसआईटी की टीम ने मंगलौर कैनाल रोड़ स्थित टैक्नोवर्ड वाली ग्रामाद्योग विकास संस्थान गु्रप की पड़ताल शुरू की। एसआईटी को पता चला कि उक्त संस्थान ने साल 2012-13 से साल 2014-15 के मध्य करीब ढाई करोड़ की छात्रवृत्ति हासिल की है। जब एसआईटी की टीम संस्थान पहुंची तो पता चला कि उक्त संस्थान खंडर में तब्दील हो चुका है। पूछताछ करने पर मालूम हुआ कि प्रतिष्ठान साल 2015 से बंद है। जबकि उक्त संस्थान को साल 2010 के बाद से किसी विश्वविद्यालय से कोई मान्यता भी प्राप्त नही है।जबकि एमबीए, बीबीए, एमसीए, बीएससी और आईटी के कोर्स में एडमिशन दिखाकर छात्रवृत्ति की राशि हड़पी गई है। एसआईटी ने संस्थान के अध्यक्ष प्रदीप अग्रवाल पुत्र लालचंद्र निवासी जीटी रोड़ मंगलौर, कोषाध्यक्ष काजी नूरउददीन पुत्र काजी मोहियूददीन निवासी किला मंगलौर और सचिव संजय बंसल पुत्र एचपी बसंल निवासी ईसी रोड़ देहरादून को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों को गिरफ्तार करने वाली टीम में निरीक्षक कमल कुमार लुंठी, उप निरीक्षक राजेंद्र खोलिया, उप निरीक्षक मदन मोहन भट्ट, उप निरीक्षक प्रमोद कुमार, उप निरीक्षक भानू पंवार व कांस्टेबल वसीम और दीपक चौधरी शामिल रहे। इस प्रकरण में तत्कालीन समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों भी संदेह के घेरे में आ गए है। एसआईटी उनकी भी जांच कर रही है।