नवीन चौहान
भारत के कुछ असामाजिक तत्व सोशल मीडिया में भोली भाली जनता को किस प्रकार भ्रमित करते है। इसकी बानगी निजी स्कूलों की जून-जुलाई की फीस माफी के एक संदेश को देखकर लगा सकते है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा मैसेज पूरी तरह से फेक हैं। हालांकि पाकिस्तान की एक कोर्ट ने वहां के निजी स्कूलों को जून- जुलाई माह की फीस नही लेने का आदेश जरूर दिया है। पाकिस्तान कोर्ट के इस आदेश को हवाला देते हुए असामाजिक तत्वों ने भारत में कुछ इस तरह फैलाया जैसे कि ये आदेश भारत में भी लागू हो गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे मैसेज में निजी स्कूलों और प्रशासन को परेशान करने की मंशा भी असामाजिक तत्वों की साफ दिखाई पड़ रही है।
बताते चले कि विगत कुछ महीनों से सोशल मीडिया पर एक मैसेज बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। मैसेज में बताया गया कि निजी स्कूल जून-जुलाई माह की फीस नही लेंगे। यदि कोई स्कूल फीस लेता है तो आप प्रशासन के अधिकारियों से शिकायत कर सकते है। उक्त मैसेज में प्रशासनिक अधिकारियों के मोबाइल नंबरों और पद का उल्लेख किया गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस मैसेज के बाद अभिभावकों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई। अभिभावक निजी स्कूलों से फीस नही लेने के आदेश के बारे में पूछने लगे। निजी स्कूल प्रशासन की ओर से तमाम व्यवस्थाओं का हवाला दिया गया। इसी के साथ कोर्ट के किसी भी आदेश के आने से इंकार किया गया। अभिभावक और निजी स्कूल अब परेशान होने लगे। कोर्ट के उस आदेश की खोजबीन शुरू हुई। काफी मशक्कत के बाद पता चला कि कोर्ट का ये आदेश पड़ोसी देश पाकिस्तान का है। वहां की अदालत ने किसी मामले में सुनवाई करते हुए निजी स्कूलों को फीस नही लेने को कहा गया है। लेकिन भारत के असामाजिक तत्वों ने इस आदेश को कुछ इस तरह से फैलाया कि मानो कोर्ट का ये भारत के अभिभावकों के लिए है। एक निजी स्कूल प्रबंधक ने जब इस संबंध में जानकारी की गई तो उन्होंने बताया कि हमारे पास जून-जुलाई की फीस नही लेने का कोई सरकारी और प्रशासनिक आदेश नही है। निजी स्कूल बच्चों की फीस से ही स्कूल को संचालित करते है। जबकि स्टॉफ को 12 महीनों का वेतन देते है। ऐसे में असामाजिक तत्वों का सोशल मीडिया पर झूठा मैसेज करके निजी स्कूलों के लिए मुसीबत खड़ा करना एकमात्र मकसद है।
झूठ भी लगने लगा सच, लेकिन ये है हकीकत, निजी स्कूलों की फीस




