नवीन चौहान
जम्मू—कश्मीर भारत मां का मुकुट होकर भी अलग—थलक ही रहा। जम्मू कश्मीर के सियासी दलों ने कभी इसे भारत में शामिल कराने का कोई प्रयास नही किया। लेकिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृढ़ इच्छा शक्ति के चलते इस असंभव कार्य को पूरा किया। जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाने का कार्य को मूर्त रूप दिया गृह मंत्री अमित शाह ने। जिसके बाद राज्य सभा और भारत के महामहिम राष्ट्रपति के आदेश के बाद धारा 370 को जम्मू कश्मीर से खत्म कर दिया गया। हालांकि इसके बाद भी इस कानून में कई झोल है। विशेषज्ञ की माने तो अभी जम्मू कश्मीर के लिए कानूनी मुश्किले है। लेकिन भारत की जनता पीएम नरेंद्र मोदी पर पूरा विश्वास रखती है। उनका मानना है कि एक मजबूत इरादों वाला व्यक्ति भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा है तो कोई भी अड़चन बाकी नही रहेगी। चलिए धारा 370 को समझने का प्रयास करते है।
क्या है धारा 370
1- जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता झंडा भी अलग है।
2- J&K में राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है।
3- देश के सुप्रीम कोर्ट के सभी आदेश जम्मू-कश्मीर में मान्य नहीं होते हैं।
4- संसद जम्मू-कश्मीर को लेकर सीमित क्षेत्र में ही कानून बना सकती है।
5- रक्षा,विदेश,संचार छोड़कर केंद्र के कानून J&K पर लागू नहीं होते हैं।
6- केंद्र का कानून लागू करने के लिये J&K विधानसभा से सहमति ज़रूरी।
7- वित्तीय आपातकाल के लिये संविधान की धारा 360 J&K पर लागू नहीं।
8- धारा 356 लागू नहीं राष्ट्रपति राज्य का संविधान बर्खास्त नहीं कर सकते।
9- कश्मीर में हिन्दू-सिख अल्पसंख्यकों को 16% आरक्षण नहीं मिलता।
10- जम्मू कश्मीर में 1976 का शहरी भूमि कानून लागू नहीं होता है।
11- धारा 370 की वजह से कश्मीर में RTI और RTE लागू नहीं होता। जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष नहीं 6 वर्ष होता है
जम्मू—कश्मीर की धारा 370 को समझने के लिए ये खबर




