सोनी चौहान
सिखों के नौवें वे गुरु तेग बहादुर का रविवार को 344वां शहीदी दिवस बनाया गया। गुरू जी का शहीदी दिवस निर्मल पंचायती अखाड़ा कनखल ने भावपूर्ण तरीके से मनाया गया।
गुरू जी की शहीदी पर शब्द कीर्तन और श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अखंड पाठ का भोग चढ़ाया गया और अरदास की गई और लंगर का आयोजन किया गया।
निर्मल पंचायती अखाड़ा के कोठारी महन्त जसविंदर सिंह शास्त्री ने कहा कि यदि गुरु तेग बहादुर नहीं होते। तो भारत का नक्शा कुछ और ही होता। गुरु तेग बहादुर जी धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए अपना सर भी कटवाने से पीछे नहीं हटें। और उन्होंने अपना बलिदान दे दिया है।
उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी ने विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों आदर्शों एवं सिद्धांत की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति दी। उनका स्थान पूरे विश्व में अद्वितीय है।
मुकामी महन्त अमनदीप महाराज ने कहा कि गुरु महाराज का बलिदान केवल धर्म पालन के लिए ही नहीं अपितु समस्त मानवीय सांस्कृतिक विरासत की खातिर था। गुरु तेग बहादुर जी वीरता, निडरता, सहनशीलता, कोमलता और सौम्यता की एक बड़ी मिसाल थे। वे भारत भूमि की एक बड़ी ढाल थे। उन्होंने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
इस अवसर पर डॉक्टर स्वामी केशवानंद महाराज, महन्त बलजिंदर सिंह, महन्त सतनाम सिंह, महन्त खेम सिंह, महन्त जमुनादास, महन्त हरभजन सिंह, महन्त अजीत सिंह, महन्त गुरूमीत सिंह, महन्त हरचरण सिंह महन्त लड्डू सिंह, महन्त शिव शंकर गिरी, महन्त गुरूमाल सिंह, ग्रंथी संत अंकित सिंह, ज्ञानी संत अमर जीत सिंह मौजूद थे।
गुरु तेग बहादुर जी का 344 वां शहीदी दिवस धूमधाम से मनाया गया


