मासूम को मिले इंसाफ यह सभी की चाहत, मौत पर सियायत से हो रही भावनाएं आहत




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नवीन चौहान
मासूम को मिले इंसाफ ये सभी हरिद्वारवासियों की चाहत है। हरिद्वार की नहीं अपितु समूचा उत्तराखंड मासूम की दर्दनाक मौत के बाद सदमे में है। पीड़ित परिवार से सभी नागरिकों की सहानुभूति हैं। पीड़ितों के घर पर डयूटी कर रहे पुलिसकर्मी भी गमजदा है। लेकिन जिस तरह से इस मौत पर बयानबाजी हो रही है। सत्ता पक्ष और विपक्ष अपने—अपने तरीके से पीड़ित परिवार को इंसाफ दिलाने की बात कर रहा है। लेकिन घटनाक्रम के बाद फरार अपराधी पर इनाम की राशि बढ़ाने का भी श्रेय लेने की होड़ भी है। जिस तरह से पीड़ित परिवार की पहचान को सार्वजनिक किया गया, वह अपने आप में बेहद ही कष्टकारी है।यह सबकुछ मानवता के विपरीत है। मानवता को झकझोंर देने वाले इस घिनौने कृत्य के बाद सभी को आत्म​ चिंतन करने की जरूरत भी है। पीड़ित परिवार को इंसाफ तो पुलिस की दिलायेगी। तो फिर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करना न्यायोचित्त भी नहीं है।
बीते दिनों हरिद्वार में एक 11 साल की मासूम बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। इस घणित कृत्य को अंजाम देने वाले अपराधियों पर समूचा हरिद्वार क्रोधित है। हरिद्वार की जनता आरोपियों को फांसी देने की मांग कर रही है। जनता की इस मांग का समर्थन तमाम राजनैतिक दल कर चुके है। पुलिस भी आरोपियों को कठोरतम दंड दिलाने का संकल्प कर चुकी है। लेकिन इस घटना के बाद जिस तरह से राजनैतिक परिदृश्य बदले वह विचारणीय है। पीड़ित परिवार के दुख में शामिल अपनी भावनाएं प्रकट कर रहे सैंकड़ों हरिद्वारवासियों पर मुकदमे दर्ज कर लिए गए। जिन लोगों पर मुकदमे दर्ज किए गए उन सभी की भावनाएं आहत थी। चूंकि घटना बेहद ही निंदनीय है। ऐसे में सभी को दुख व्यक्त करने का भी अधिकार है। तो फिर इसमें सियासत और श्रेय लेने का कोई औचित्य भी नहीं है। इस पूरे प्रकरण में सबसे ज्यादा आहत होने वाले मासूम बच्ची के परिजनों की भावनाओं को भी समझने की जरूरत है। इस प्रकरण के बाद उनकी मनोदशा क्या है। वह किस हालात से गुजर है। पीड़ित परिवार कुछ बोलने की स्थिति में नही है। पीड़ित परिवार के दुख को महसूस करने की जरूरत है।
अगर बच्ची को सच्ची श्रद्धांजलि देनी है तो शांति का वातावरण बनाकर रखिए। पीड़ित परिवार के साथ खड़े रहकर आरोपी की गिरफ्तारी का इंतजार करें। आरोपियों को फांसी की सजा दिलाने तक पीड़ित परिवार का साथ निभाए।