हरिद्वार के व्यापारियों का दर्द नहीं समझा, बस सबने उपयोग किया




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नवीन चौहान.
हरिद्वार के व्यापारी विगत एक साल से आर्थिक संकटों से जूझ रहे हैं। समस्त होटल मालिक हो या दुकानदार सभी कारोबारियों का बुरा हाल है। कोरोना संक्रमण काल की सबसे बड़ी मार हरिद्वार के व्यापारियों को पड़ी। बैंक कर्ज और तमाम खर्च उनकी आर्थिक स्थिति को दयनीय बना रहे है। पर्यटन से जुड़ा कारोबार अब दम तोड़ चुका है। कुंभ की 12 साल की आस अब आंसूओं में बह रही है। इसीलिए हरिद्वार के व्यापारी आहत और आक्रोषित है।
हरिद्वार का व्यापारी प्रशासन का आर्थिक, सामाजिक और शारीरिक सहयोग करने में सबसे आगे रहता है। जिला प्रशासन और हो मेला प्रशासन को सम्मानित करने की पंक्ति में हरिद्वार का व्यापारी सबसे पहले नजर आता है। हरिद्वार के होटल मालिक से लेकर तमाम कारोबारी मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण है। लेकिन एकाएक ऐसा क्या हुआ जो व्यापारी आहत हो गए। अपने ही मेला आईजी के बुलावे पर बैठक में शामिल होने को तैयार नही हुए। व्यापार मंडल के संगठनों के पदाधिकारियों से ही नाराज हो गए। संगठन से इस्तीफा तक दे दिया। कुछ बातों को समझने की जरूरत है। मेला प्रशासन ने कुंभ पर्व की तैयारियों को लेकर व्यापार मंडल के पदाधिकारियों के साथ वार्ता की थी और सुझाव भी लिए थे। लेकिन दूसरे शाही स्नान में यातायात प्लान के चलते व्यापारियों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसके अलावा श्रद्धालुओं का मार्ग परिवर्तन होने से उनके कारोबार की उम्मीद भी टूट गई। ये तमाम बातों ने व्यापारियों को बेहद आहत किया है। हालांकि आईजी संजय गुंज्याल के व्यवहार से सभी प्रभावित है। सभी व्यापारी आईजी संजय गुंज्याल का सम्मान करते है। व्यापारियों की सभी समस्याओं को आईजी संजय गुंज्याल दूर भी कर देंगे। जिसके बाद सभी के संबंध मित्रवत होंगे।