नवीन चौहान, हरिद्वार। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के आश्रम की दीवार को गिराने का आदेश देने वाले नगर निगम के मेयर मनोज गर्ग सियासत के कमजोर खिलाड़ी साबित हुये हैं। गत चार सालों में नगर निगम की कुर्सी पर काबिज होने के बाद से उनके पास उपलब्धियां बताने के लिये तो कुछ खास नहीं है। लेकिन हां अस्थायी खोखों में नाम की सूची लंबी करने का विवाद उनके नाम के साथ जरूर चिपका है। वही दूसरा विवाद अपनी ही पार्टी के कैेबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के प्रेमनगर आश्रम की दीवार गिराने का आरोप मेयर के सिर पर आ गया है। इस आरोप के बाद मनोज गर्ग के सियासी कैरियर पर खतरा मंडरा रहा है। बीजेपी हाईकमान तक पहुंच रखने वाले सतपाल महाराज मेयर मनोज गर्ग को सस्ते में छोड़ने के मूड में दिखलाई नहीं पड़ रहे हैं। प्रकरण की जांच कमेटी की रिपोर्ट पर ही मेयर का सियासी कैरियर टिका है। इस प्रकरण पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस की भी पूरी नजर है।
नगर विधायक मदन कौशिक के खास माने जाने वाले मनोज गर्ग एक व्यापारी नेता के तौर पर पहचान रखते थे। मनोज गर्ग के राजनैतिक कैरियर परऊंचाई तब मिली जब विधायक मदन कौशिक ने नगर निगम का चुनाव जिताकर मनोज गर्ग को मेयर की कुर्सी पर काबिज किया। इस कुर्सी पर बैठने के बाद मेयर की पहचान मदन कौशिक के वफादार के रूप में ही बन पाई। नगर में कहा जाता है कि मनोज गर्ग जो काम करते हैं वह मदन कौशिक की सलाह पर ही करते हैं। मेयर का साढ़े चार साल का लंबा वक्त बीत गया। लेकिन मेयर के कार्यकाल में आखिरी वक्त में मनोज गर्ग ने एक विवाद को जन्म देकर अपने ही राजनैतिक कैरियर को खतरे में डाल दिया। हालांकि इस पूरे प्रकरण की जांच रिपोर्ट तो 15 दिनों के भीतर आयेगी, लेकिन मनोज के सियासी कैरियर में खतरा मंडराने लगा है। अब सबकी निगाहें इस पर बात पर टिकी है कि मदन कौशिक अपने खास को किस तरह इस मुसीबत से बाहर निकालते है।
मदन की छवि पर भी मंडरा रहा खतरा
हरिद्वार। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने अपनी ही पार्टी के कैबिनेट मंत्री और नगर विधायक मदन कौशिक के चहेतों को पार्किंग का ठेका नहीं देने का आरोप लगाकर कई सवालों को जन्म दे दिया। ये सवाल पार्टी की अंदरुनी कलह को और हवा दे रहे है। इसी के साथ कही ना कही मदन कौशिक की छवि को नुकसान पहुंचा रहे है। मदन कौशिक की हरिद्वार में छवि एक जनाधार वाले नेता के तौर पर है तो उनपर अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के भी आरोप लग चुके है।