पत्रकार बनना तो आसान है पर पत्रकारिता करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य




Listen to this article

नवीन चौहान, हरिद्वार। पत्रकार बनना तो आसान है पर पत्रकारिता करना उतना ही चुनौतीपूर्ण कार्य है। जिम्मेदार पत्रकार को अपने चरित्र की रक्षा करने के साथ बेगुनाही के सबूत भी जुटाने होते है। घटनास्थल पर कवरेज करने के दौरान पत्रकारों की जिंदगी खतरे की जद में रहती है। पत्रकारिता का धर्म निभाना एक जोखिम भरा कार्य है। इसी के चलते प्रेस क्लब हरिद्वार पत्रकारों की सुरक्षा के लिये पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की आवाज को बुलंद कर रहा है। लेकिन जनता को हकीकत से परिचित कराने वाले पत्रकार खुद कितने खतरों का सामना करते है इसका अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल है। सरकार को प्रेस क्लब हरिद्वार की मांग पर गंभीरता से विचार करना चाहिये।
लोकतंत्र का सबसे मजबूत स्तंभ माने जाने वाला पत्रकारिता जगत आन वान और शान के लिये जाना जाता है। पत्रकारों का रसूक समाज में किसी से छिपा नहीं है। मंत्री हो या नेता, नौकरशाह हो या सरकारी अधिकारी पत्रकारों के इर्द- गिर्द ही रहते है। खबरों में सुर्खियां बनने वाले तमाम लोग पत्रकारों को विशिष्ट आदर सम्मान देते है। यही कारण है पत्रकारिता के पेशे में आने के लिये युवाओं में क्रेज बना हुआ है। युवा वर्ग पत्रकार बनने के लिये आतुर रहते है। पत्रकारिता के क्षेत्र में पत्रकारों को नेताओं और मंत्रियों की प्रेस कांफ्रेस में तो आदर सम्मान मिलता है। लेकिन दंगों और झगड़ा फसाद की कवरेज करने के दौरान पत्रकारों को अपनी जान जोखिम में डालकर घटना स्थल पर मौजूद रहना पड़ता है। घटना स्थल से फोटो और वीडियों लेने पड़ते है। पत्रकार इस दौरान उन असामाजिक तत्वों के बीच अकेला होता है। यदि मौके पर पुलिस होती है तो पत्रकारों की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं होता है। लेकिन यदि पुलिस के पहुंचने से पूर्व ही पत्रकार मौके पर पहुंच जाये और असामाजिक तत्वों के फोटो और वीडियो बनाने लगे। तो आप खुद अंदाजा लगा सकते है कि पत्रकार किन परिस्थितियों के बीच किन हालातों से गुजर रहा है। वो असामाजिक तत्व अपने सबूत मिटाने के लिये पत्रकार पर हमला भी बोल सकते है। ऐसे में आपकों सबूत बचाने के साथ-साथ खुद की जिंदगी को बचाना जरुरी हो जाता है। इन सब विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी समाज में सच दिखाने की चाहत भी पत्रकारों को इस पेशे में बने रहने का हौसला प्रदान करती है।