धामी सरकार का बड़ा फैसला, UCC को उत्तराखंड में मिला अपार जन समर्थन




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नवीन चौहान.
यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) का ड्राफ्ट विशेषज्ञ समिति ने अंतिम रूप देकर जल्द ही सरकार को सौंपने का ऐलान किया है। ड्राफ्ट समिति की सदस्य जस्टिस (रिटायर्ड) संजना प्रसाद देसाई ने आज दिल्ली में इस संबंध में घोषणा की।

विशेषज्ञ समिति के सदस्य लंबे समय से इस ड्राफ्ट पर काम कर रहे थे और पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में ड्राफ्ट रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में जुटे हुए थे। समिति के अनुसार जल्द ही यह ड्राफ्ट सरकार को सौंप दिया जाएगा।

मई 2022 को उत्तराखंड समान नागरिकता संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने अपने गठन के बाद से लेकर मसौदा तैयार करने तक ढाई लाख से अधिक सुझाव ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से प्राप्त किए। समिति इस संबंध में 13 जिलों में हित धारकों के साथ सीधे संवाद कर चुकी है, जबकि नई दिल्ली में प्रवासी उत्तराखंडियों से भी चर्चा की गई।

उत्तराखंड में सिविल कोड लागू करने के लिए कर समिति की कुछ अहम सिफारिशें हैं। माना जा रहा है कि यूसीसी में महिलाओं को समान अधिकार दिए जाने पर फैसला हो सकता है। इसके अलावा बेटियों की शादी की उम्र भी 21 साल करने का फैसला यूसीसी में हो सकता है।

उत्तराखंड यूसीसी के तहत किसी भी पुरुष और महिला को बहु विवाह करने की अनुमति नहीं होगी। यूसीसी के तहत लिव इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन के प्रावधान पर भी विचार किया गया है। राज्य के लिए यह प्रस्ताव भी शामिल किया जा सकता है कि किसी भी धर्म की महिला को संपत्ति में समान अधिकार मिलना चाहिए।

यूसीसी में एक्सपर्ट कमेटी ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को भी शामिल किया है। यदि राज्य में किसी भी व्यक्ति के दो से ज्यादा बच्चे होते हैं तो उसे चुनाव में वोटिंग का अधिकार नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं के लाभ से वंचित रखा जा सकता है। मुस्लिम समाज में हलाला और इद्दत की रस्म है, जिसे यूसीसी लागू होने के बाद खत्म कर दिया जाएगा।