उत्तराखण्ड को कर्ज से उबारने का त्रिवेंद्र का फॉर्मूला जानिये पूरी खबर




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नवीन चौहान

हरिद्वार। उत्तराखंड राज्य को आर्थिक बोझ तले दबाने में पूर्व की सरकारें पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। राज्य गठन के बाद से बनने वाली तमाम सरकारों ने राज्य को कंगाल बनाने का कार्य किया। प्रदेश के मंत्रियों और नौकरशाहों ने खूब विदेशी यात्रायें की। दोनों हाथों से राज्य के धन की बर्बादी की। राज्य के विकास के लिये कोई प्लान नहीं बनाया। अपने वोट बैंक को मजबूत रखने के लिये फैसले लिये गये। बेहिसाब नियुक्तियां की गई। पूर्व की सरकारों के द्वारा की गई इन तमाम गलतियों को सुधारने का काम वर्तमान के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत कर रहे है। इसके लिए उन्होंने कम खर्च का फॉर्मूला इजाद किया है।
उत्तराखंड राज्य वर्तमान में 44 हजार करोड़ के कर्ज तले डूबा हैं। इस कर्ज की एवज में प्रतिवर्ष 916 करोड़ का ब्याज वर्ल्ड बैंक सहित तमाम दूसरे कर्जदारों को दिया जा रहा है। जब राज्य की कमान वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मिली तो खजाना पूरी तरह खाली था। उन्होंने सबसे पहला फार्मूला खर्च में कटौती करने का किया। मंत्रियो और नौकरशाहों के विदेशी दौरों पर पूरी तरह से रोक लगा दी। इसके अलावा प्रदेश में राजस्व को बढाने के लिये योजनायें बनाई। प्रदेश के खजाने को देखते हुये ही राज्य की विकास को गति देने का सुझाव दिया। इसी के चलते उन्होंने जीरो टॉलरेंस की मुहिम शुरू की। खुद सीएम त्रिवेन्द्र रावत ने अपने खर्च में कटौती करनी शुरू कर दी। ईमानदार नौकरशाहों को अपनी टीम का हिस्सा बनाकर राज्य में राजस्व बढ़ाने की रणनीति तैयार की। इस रणनीति के तहत वह फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहे है। भले ही विपक्षी पार्टियां त्रिवेन्द्र सरकार की स्पीड को धीमी गति की सरकार बताएं लेकिन वह राज्य की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पूरी संजीदगी के साथ कार्य कर रहे है। आज राज्य जिस संकट के दौर से गुजर रहा है उस स्थिति में पहुंचाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की भूमिका सबसे ज्यादा अहम रही है। हरीश रावत ने अपने कार्यकाल में प्रदेश में बेहिसाब नियुक्तियां  की। दोनां हाथों से सरकार का खजाना लुटाया। लेकिन इस सब के बावजूद वह अपनी सरकार को दोबारा सत्ता में वापसी नहीं करा पाए। प्रदेश की जनता की नाराजगी का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि हरीश रावत दो सीटों पर चुनाव लडे़ और बुरी तरह हार गए इसी जनता ने भाजपा पर भरोसा किया और प्रचंड बहुमत दिया। प्रदेश में 70 विधानसभा सीटों में से 57 पर भाजपा के विधायक है और त्रिवेन्द्र की पारदर्शी सरकार राज्य को संकट से उबारने में लगे है। उम्मीद की जा रही है कि त्रिवेन्द्र रावत जनता के भरोसे पर खरे उतरेंगें और राज्य के युवाओं को रोजगार और पलायन जैसी समस्याओं से निजात दिलायेंगे।