- सुपर फूड और न्यूट्रास्यूटिकल्स के नाम से जाना जाता है मोटा अनाज प्रोफेसर केके सिंह
- आकाशवाणी दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में हुआ एक दिवसीय लोक संगीत कार्यक्रम
- भारतीय युवा और जी-20 समिति के निर्माण में अग्रणी
- श्री अन्य सबके लिए अन्य विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला और रंगारंग कार्यक्रम संपन्न
- मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए कल्चरल प्रोग्राम ने छात्रों का मन जीता
मेरठ।
भारतीय युवा और जी-20 समिति के निर्माण में अग्रणी श्री अन्न सबके के लिए अन्न लोक नृत्य एवं संगीत कार्यक्रम का आयोजन आकाशवाणी दिल्ली एवं निदेशालय प्रशिक्षण एवं सेवायोजन सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा पशु चिकित्सा महाविद्यालय के सभागार में किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर के.के. सिंह ने कहा कि श्री अन्न अर्थात मोटे अनाज का चिकित्सीय महत्व बहुत अधिक है। इसे हमें अपने भोजन में शामिल करना चाहिए क्योंकि पौष्टिक गुणों के कारण आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसको सुपरफूड या न्यूट्री सीरियल्स के नाम से जाना जाता है। मोटे अनाज की फसलों को कम उपजाऊ भूमि पर कम मात्रा में जल उर्वरक तथा कीटनाशकों का प्रयोग करके उगाया जा सकता है। कुलपति डॉक्टर के.के. सिंह ने कहा कि मोटे अनाज की खेती किसानों को कम लागत में बेहतर आमदनी प्राप्त करने का एक अच्छा स्रोत भी प्रदान करती है। मोटे अनाज पोषक और आर्थिक सुरक्षा देने के साथ-साथ जलवायु सुरक्षा के लिए भी अनुकूल हैं, क्योंकि यह कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद करता है। इसमें ग्लूटेन मुक्त और कम होने के कारण इसको मधुमेह से पीड़ित लोग तथा मोटापे की रोकथाम के लिए बेहतर विकल्प के रूप में उपयोग में लाते हैं। कुलपति प्रोफेसर के.के. सिंह ने कहा कि यूथ समिति में भारत का मुख्य फोकस जी20 सहित विश्व के युवा लीडरों को एक मंच प्रदान करना है जहां से वह अपने विचारों का आदान प्रदान कर सकें, जिस से नई पीढ़ी में नेतृत्व के गुणों का विकास हो सके।

अपर आयुक्त प्रसार कृषि मंत्रालय भारत सरकार के डॉक्टर वाई आर मीणा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि आज पूरे विश्व में मोटे अनाज की भारी मांग आने लगी है इसके लिए जरूरी है कि मोटे अनाज की फसलों को अधिक से अधिक बोया जाए और उनका अच्छा से अच्छा उत्पादन लेकर लोगों के स्वास्थ्य को ठीक रखने का काम किया जाना चाहिए। सहायक महानिदेशक बीज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली डॉ डीके यादव ने विशिष्ट अतिथि के रूप में हुए बोलते हुए मोटे अनाज की खेती कब और कैसे की जाए और इससे किस प्रकार से अच्छा गुणवत्ता युक्त उत्पादन लिया जा सकता है विषय पर अपने विचार रखे। डॉ यादव ने अपने संबोधन में बताया कि विश्व में मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक हमारा देश भारत ही है। देश में मोटे अनाजों की कुल पैदावार में सबसे बड़ा हिस्सा बाजरा, ज्वार का है। इनमें से बाजरा और ज्वार की विश्व में कुल पैदावार का लगभग 19% हिस्सा भारत में पैदा किया जाता है। भारत के मोटे अनाज की पैदावार वाले प्रमुख राज्यों में देखा जाए तो लगातार मोटे अनाजों की मांग बढ़ती जा रही है।

आकाशवाणी के कार्यक्रम प्रमुख मनोहर सिंह रावत ने विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए बताया कि आकाशवाणी कार्यक्रम युवाओं के बीच में जी 20 देशों की भागीदारी के साथ मोटे अनाज के उत्पादन और उसके प्रसंस्करण एवं विस्तार के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं और आगामी समय में आकाशवाणी द्वारा विभिन्न विश्वविद्यालयों के साथ-साथ सीमाओं पर जाकर भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिससे उस क्षेत्र के किसान एवं विद्यार्थी ज्यादा से ज्यादा मोटे अनाज की खेती उसके प्रसंस्करण भंडारण तथा वित्तीय उत्पाद को बनाकर बेचने की व्यवस्था करेंगे। जिससे लोगों के बीच मोटे अनाज की उपयोगिता और बढ़ सके और वह स्वस्थ रह सके।

इस कार्यक्रम के संयोजक तथा कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट प्रोफेसर आर.एस. सेंगर ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया तथा अपने संबोधन में कहा कि इस विश्वविद्यालय को एक समृद्धि और अभिवृद्धि के क्षेत्र में अनुसंधान नई प्रौद्योगिकियों और ज्ञान के प्रसार के लिए एक प्रकाश स्तंभ के रूप में खड़ा किया गया है। हम एक ऐसे भविष्य की कल्पना करते हैं कि हमारे किसान नवीनतम प्रौद्योगिकी से समर्थ होंगे हमारी किसी प्रथाएं विकसित और जलवायु परिवर्तन के साथ समर्थ होंगी और हमारी ग्रामीण समुदाय तथा किसान समृद्धि से जीवन यापन जी सकेंगे, इसके लिए जरूरी है कि वह नई-नई तकनीकों का समावेश करें, जिससे उनको कम क्षेत्रफल में अधिक से अधिक उत्पादन मिल सके और उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो सके।

कार्यक्रम अधिकारी शिवनंदन लाल ने अपने संबोधन में कहा कि पूरे देश में मोटे अनाजों की खेती और जी-20 की उपयोगिता को देखते हुए इस तरह के कार्यक्रमों का आकाशवाणी द्वारा आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में लोक नृत्य एवं लोक संगीत को जनमानस तक पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है, जिससे लोग अपने लोक संगीत को भी ना भूले और मोटे अनाज की खेती करके अपने स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखें। मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि विश्वविद्यालय में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
कृषि विश्वविद्यालय में मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए तथा उसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए रागिनी का आयोजन किया गया। लोक कलाकारों ने लोक संगीत के माध्यम से मोटे अनाज के उत्पादन उसके उत्पादकता तथा आय बढ़ाने का संदेश दिया और रागिनी के द्वारा लोगों को समझाया किस का उत्पादन बढ़ाए जिससे सभी के आगे बढ़ सकेगी। इस कार्यक्रम में आकाशवाणी की दो रागनी पार्टियों ने हिस्सा लिया, जिनमें कंपटीशन किया गया प्रथम पार्टी अमित तेवतिया तथा पूजा शर्मा के द्वारा रागनी प्रस्तुत की गई तथा दूसरी पार्टी प्रीति चौधरी की थी, जिसने अपने कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
मोटे अनाज की रंगोली और पोस्टर प्रदर्शनी
इस एक दिवसीय कार्यशाला के दौरान छात्रों द्वारा मोटे अनाज के माध्यम से रंगोली बनाई गई तथा मोटे अनाज के द्वारा पोस्टरों को बनाया गया। इस प्रतियोगिता में लगभग 55 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया और उनकी टीमों ने मोटे अनाज के माध्यम से विभिन्न प्रकार की रंगोली तथा पोस्टरों को तैयार किया। इस प्रतियोगिता में छात्रों ने प्रथम द्वितीय और तृतीय पुरस्कार जीते। प्रथम पुरस्कार के रूप में रुपए 1500, द्वितीय पुरस्कार के रूप में 1000 और तृतीय पुरस्कार के रूप में छात्र छात्राओं को 500 रूपये देकर पुरस्कृत किया गया।
तुलसी का पौधा किया भेंट
इको फ्रेंडली तकनीकी और पर्यावरण मित्रता को बढ़ावा देने के लिए मंच पर मौजूद देश के विभिन्न जगहों से आए हुए आगंतुकों का स्वागत तुलसी का पौधा भेंट करके किया गया। स्वास्थ्य की दृष्टि से तुलसी बहुत ही महत्वपूर्ण पौधा है तथा घरों में शुभ कार्यों के लिए इसे लगाया जाता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए और पर्यावरण मित्रता को बढ़ावा देने के लिए आगंतुकों को कार्यक्रम संयोजक ने तुलसी का पौधा भेंट किया।
इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. डी वी सिंह तथा धन्यवाद प्रस्ताव ज्वाइंट डायरेक्टर प्रोफेसर सत्य प्रकाश द्वारा दिया गया। इस अवसर पर आकाशवाणी केंद्र के कार्यक्रम अधिकारी प्रमोद कुमार, कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर रामजी सिंह, निदेशक शोध प्रोफेसर अनिल सिरोही, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से आए हुए प्रोफेसर संजय राठौर, अधिष्ठाता कृषि डॉ विवेक धामा, डॉ रविंद्र कुमार, डॉ विजेंद्र सिंह, डॉ डीके सिंह, डॉ कमल खिलाड़ी, डॉ. विपिन कुमार, डॉक्टर शैलजा कटोच, डॉक्टर शालिनी गुप्ता, डॉक्टर वैशाली, डॉक्टर देशदीप, डॉ नीलेश कपूर, डॉक्टर पंकज चौहान, डॉ पुरुषोत्तम तथा विभिन्न महाविद्यालयों के लगभग 360 छात्र-छात्राएं कार्यक्रम में मौजूद रहे।