प्रशासनिक अधिकारी सम्मेलन में ‘विकसित उत्तराखंड @ 2047’ पर मंथन




Listen to this article

न्यूज 127, देहरादून।
वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार, सचिवालय में दो दिवसीय प्रशासनिक अधिकारी सम्मेलन (AOC) का शुभारंभ हुआ, जिसमें प्रदेश के नीति-निर्माताओं, वरिष्ठ प्रशासकों और जिला अधिकारियों ने विकसित उत्तराखंड @ 2047 के रोडमैप पर केंद्रित व्यापक चर्चा की।

उद्घाटन सत्र में मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने AOC को क्षेत्रीय अधिकारियों और नीति-निर्माताओं के बीच प्रत्यक्ष संवाद का महत्वपूर्ण मंच बताया। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष सहभागिता न केवल समन्वय को मजबूत करती है, बल्कि उन मुद्दों पर स्पष्टता भी लाती है जिनके समाधान के लिए नीति स्तर पर हस्तक्षेप आवश्यक है।

मुख्य सचिव ने पर्यटन, बागवानी, स्वास्थ्य एवं वेलनेस और शहरी विकास को राज्य की भविष्य विकास यात्रा के प्रमुख स्तंभ बताते हुए कहा कि अनियोजित शहरी विस्तार को रोकने और सतत एवं नियोजित शहरीकरण को बढ़ावा देना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा— “विकसित उत्तराखंड 2047 तभी संभव है जब नीति-निर्माण में जमीनी चुनौतियों का समुचित प्रतिबिंब हो। यह मंथन हमारे साझा दीर्घकालिक लक्ष्यों के लिए ठोस और समन्वित दिशा प्रदान करेगा।”

2030 से 2047 तक आर्थिक विस्तार का रोडमैप
प्रमुख सचिव डॉ. आर. मीनाक्षी सुन्दरम ने विकसित उत्तराखंड 2047 की विज़निंग प्रक्रिया पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि राज्य का जीएसडीपी वर्तमान 3.78 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2047 तक 28.92 लाख करोड़ रुपये तक पहुँचेगा। उन्होंने उच्च-मूल्य कृषि, सेवा क्षेत्र विस्तार, डिजिटल बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता, तथा शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र के सुदृढ़ीकरण को विकास का अनिवार्य आधार बताया।

राज्य की वित्तीय स्थिति और उभरती चुनौतियाँ
वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने राज्य की वित्तीय स्थिति पर प्रकाश डालते हुए अनुदानों की समाप्ति, राजस्व वृद्धि में मंदी और व्यय में वृद्धि जैसी चुनौतियों का उल्लेख किया। उन्होंने साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण, यथार्थवादी बजट अनुमान और विभागीय समन्वय को मजबूत बनाने की आवश्यकता रेखांकित की, ताकि राज्य की दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित हो सके।

इंफ्रास्ट्रक्चर, मोबिलिटी और टूरिज्म पर विशेष सत्र
सचिव पंकज पांडे ने इंफ्रास्ट्रक्चर एवं मोबिलिटी रोडमैप प्रस्तुत करते हुए पिछले 25 वर्षों में प्रदेश में कनेक्टिविटी के क्षेत्र में हुई प्रगति का उल्लेख किया। उन्होंने डी-कंजेशन, मजबूत बुनियादी ढांचे के निर्माण और सार्वजनिक परिवहन के एकीकरण पर जोर दिया। पर्यटन विभाग की अतिरिक्त सचिव द्वारा विंटर टूरिज्म की अवधारणा प्रस्तुत की गई और विभिन्न संभावित सर्किटों की पहचान कर नीतिगत अभिसरण को आवश्यक बताया गया।

जिलाधिकारियों ने प्रस्तुत किए जिला-स्तरीय मॉडल व चुनौतियाँ
बागेश्वर, पिथौरागढ़, चम्पावत, उधम सिंह नगर और हरिद्वार के जिलाधिकारियों ने क्रमशः— हर्बल एवं औषधीय पौधों, वाइब्रेंट विलेजेज, बागवानी की संभावनाएँ, आकांक्षी जिला पहल, कचरा प्रबंधन से संबंधित उत्कृष्ट कार्यों और चुनौतियों का प्रस्तुतीकरण किया। मुख्य सचिव ने सुझाव दिया कि प्रदेश के त्वरित विकास एवं इन चुनौतियों के समाधान हेतु नए संस्थागत ढांचे विकसित करना आवश्यक है। बैठक का सफल संचालन अपर सचिव नवनीत पांडेय ने किया। इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, एल. एल. फैनई सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।