लॉक डाउन में साइबर अपराधी सक्रिय,एप्लीकेशन डाउनलोड करने से पहले सावधान




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नवीन चौहान
लॉक डाउन में साइबर अपराधी पूरी तरह से सक्रिय हो चुके है। आपके खाते को खाली करने के लिए उन्होंने पूरी तैयारी कर ली है। इसी के चलते वह आपको कई ​हैकिंग लिंक भेज रहे है। इसके अलावा आप इंटरनेट से कोई एप्लीकेशन डाउनलोड करते है,तब भी आपको बहुत सावधानी बरतनी होगी।

जैसा की आजकल सब लोग लॉकडाउन की वजह से घर पर ही है। सभी अपना अधिकतर समय इंटरनेट के माध्यम से गुजार रहे है। हर कोई इस समय किसी न किसी रूप से इंटरनेट और सोशल साईट से जुड़ा हुआ है।I सभी कार्य इंटरनेट के माध्यम से हो रहा है। चाहे ऑफिस का वर्क हो या बैंक से लेंन दें और चाहे ऑफिस की मीटिंग। इस दौर में कई लोगों ने इंटरनेट को पहली बार उपयोग किया है।I इसी बात का फायदा उठाने के लिए साइबर अपराधी पूरी मुस्तैदी के साथ लगे हुए हुए है। विगत कुछ दिनों में सोशल क्राइम में काफी बढ़ोतरी हुई है।I सोशल क्राइम को समझना जरुरी है। जिसके लिए भारतीय जागरूकता समिति के अध्यक्ष एम हाईकोर्ट नैनीताल के अधिवक्ता ललित मिगलानी ने साइबर क्राइम को क़ानूनी रुप से समझाने का प्रयास किया है। मिगलानी ने बताया कि साइबर क्राइम एक प्रकार का संगीन अपराध होता है, जो अक्सर कंप्यूटर, मोबाइल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के माध्यम से किया जाता है। इसमें कंप्यूटर के माध्यम सबसे ज्यादा उपयोग में लाया जाता जय जिससे कई प्रकार के अपराध कर लिए जाते हैं। यह अपराध कई प्रकार के होते हैं जैसे- स्पैम ईमेल, हैकिंग, वायरस डालना, किसी की व्यक्तिगत या ऑफिशियल जानकारी को प्राप्त करना, किसी के अकाउंट पर नजर रखना। यह सारे क्राइम के अंतर्गत आते हैं। साइबर क्राइम करने वाले अपना काम चालाकी से करते हैं और उनके बारे में कुछ पता भी नहीं चलता है। मिगलानी ने बताया कानून ऐसे मामलो में काफी सख्त है कानून में इस प्रकार के अपराधों को रोकने के लिए कड़े नियमों का उल्लेख है अगर कोई व्यक्ति हैकिंग करता है तो कानून में आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43 (ए), धारा 66 – आईपीसी की धारा 379 और 406 के तहत कार्रवाई मुमकिन सजा: अपराध साबित होने पर तीन साल तक की जेल और/या पांच लाख रुपये तक जुर्माना।
कोई व्यक्ति डेटा चोरी करता है तो आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 43 (बी), धारा 66 (ई), 67 (सी) – आईपीसी की धारा 379, 405, 420 – कॉपीराइट कानून सजा: अपराध की गंभीरता के हिसाब से तीन साल तक की जेल और/या दो लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान हैI
कोई व्यक्ति वायरस स्पाईवेयर फैलता है तो आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 की धारा 43 (सी), धारा 66 एम् आईपीसी की धारा 268 के अंतर्गत अपराधी होगी I
देश की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने के लिए फैलाए गए वायरसों पर साइबर
आतंकवाद से जुड़ी धारा 66 (एफ) भी लागू (गैर-जमानती)। सजा : साइबर-वॉर और साइबर आतंकवाद से जुड़े मामलों में उम्र कैद। दूसरे मामलों में तीन साल तक की जेल और/या जुर्माना।
मिगलानी ने समाज के हर वर्ग को सन्देश के माध्यम से बताया कि अपराध तो अपराध होता है। जब भी अपराध होता है, अपराधी कितना भी होशियार क्यों न हो फिर भी कोई न कोई सबूत छोड देता है। कानून के शिकंजे में आ ही जाता है। जिससे अपना और अपनों का दोनों का भविष्य ख़राब होता हैI कानून मे अपराध से बचने का एक ही मूल मन्त्र है “आपराध न करना” सुरक्षित रहे स्वास्थ्य रहे।