न्यूज127- उत्तराखंड की पारंपरिक आस्था और प्रकृति से प्रेम को दर्शाने वाला पर्व हरेला इस वर्ष डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल, जगजीतपुर, हरिद्वार में विशेष रूप से मनाया गया। विद्यालय परिसर में प्रधानाचार्य श्री मनोज कुमार कपिल के कुशल निर्देशन में एक वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें पर्यावरण संरक्षण के संदेश के साथ विविध प्रकार के फलदार पौधे रोपे गए।

‘हरेला’ शब्द का अर्थ है हरियाली, और यह पर्व उत्तराखंड, विशेषकर कुमाऊँ क्षेत्र में श्रावण संक्रांति के अवसर पर मानसून की शुरुआत और नई फसल की बुवाई के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह केवल धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजन न होकर प्रकृति से जुड़ाव और जिम्मेदारी का संदेश देने वाला पर्व बन चुका है।

विद्यालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम में कटहल, संतरा, आड़ू, अंजीर, नाशपाती, भारतीय ब्लैकबेरी, शरीफा, बबूगोसा और लोकाट जैसे फलदार पौधों का रोपण किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के समस्त शिक्षकगण एवं स्टाफ सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

प्रधानाचार्य मनोज कुमार कपिल ने अपने संबोधन में कहा कि –
“हरेला केवल हरियाली का पर्व नहीं, बल्कि यह एक जिम्मेदारी है, जो हमें सिखाता है कि प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर ही सतत विकास संभव है। हमारे विद्यार्थी जब इस तरह के आयोजनों में भाग लेते हैं, तो उनमें पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता और जागरूकता स्वाभाविक रूप से विकसित होती है।”

कार्यक्रम में छात्रों को वृक्षों की उपयोगिता, पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति भी जागरूक किया गया। विद्यालय परिवार ने यह संकल्प लिया कि लगाए गए सभी पौधों की देखरेख निरंतर की जाएगी, ताकि आने वाले वर्षों में यह परिसर और अधिक हरा-भरा और समृद्ध हो सके।

इस अवसर पर उपस्थित शिक्षकों ने भी हरेला पर्व की शुभकामनाएं दीं और इस पहल को प्रकृति के प्रति एक सच्चा आभार बताया। कार्यक्रम का समापन सभी प्रतिभागियों द्वारा लगाए गए पौधों के साथ सामूहिक फोटो और हरेला गीतों की धुन पर हुआ
हरेला पर्व न केवल उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान है, बल्कि यह हमें प्रकृति की ओर लौटने, उसे सहेजने और उसके साथ सामंजस्य स्थापित करने की प्रेरणा भी देता है। डीएवी स्कूल की यह पहल निःसंदेह भावी पीढ़ी के लिए पर्यावरणीय चेतना की मजबूत नींव रखेगी।



