एम्स से हुआ निराश तो हरिद्वार के एसआर मेडिसिटी ने की कैंसर की सफल सर्जरी




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नवीन चौहान
हरिद्वार का एसआर मेडिसिटी मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल मरीजों के वरदान साबित हो रहा है। हॉस्पिटल में कैंसर पीड़ित मरीजों के सफल आप्रेशन हो रहे है। एम्स ऋषिकेश और सुभारती अस्पताल देहरादून से निराश हो चुके कैंसर पीड़ित विजय कुमार को एसआर मेडिसिटी हॉस्पिटल ने पुर्नजन्म दिया है। करीब पांच घंटे तक चले जटिल आप्रेशन को हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ एसके मिश्रा और उनकी टीम ने सफल बनाया।
ज्वालापुर के सुभाषनगर निवासी विजय कुमार 39 वर्षीय को गले का कैंसर था। वह विगत कई सालों से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। हालांकि उन्होंने तंबाकू का सेवन छोड़ दिया था। लेकिन उनको कैंसर ने जकड़ लिया। विजय के परिजन उनको लेकर एम्स और सुभारती हॉस्पिटल देहरादून तक गए। उनकी कीमोथैरेपी शुरू कर दी गई। लेकिन किसी भी हॉस्पिटल ने विजय के आप्रेशन करने की चुनौती को स्वीकार नही किया।
सभी हॉस्पिटल से निराश होकर विजय कुमार के परिजन उसको लेकर कनखल जगजीतपुर स्थित एसआर मेडिसिटी हॉस्पिटल पहुंचे। कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ एसके मिश्रा ने विजय कुमार की केस हिस्ट्री देखने के बाद आप्रेशन करने की चुनौती को स्वीकार किया। वही दूसरी ओर विजय की हालात बिगड़ती जा रही थी। उसको सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। शरीर में खून की बेहद कमी थी।


डॉ शिखा श्रीवास्तव ने बताया कि विजय कुमार के गले में करीब एक साल पहले एक गांठ बन गई। जिसकी सर्जरी की गई है। फिलहाल इनकी हालत खतरे से बाहर है। अब जल्दी ही स्वस्थ होकर अपने घर जा सकेंगे।
र्जरी करने वाले डॉ एसके मिश्रा ने बताया कि विजय कुमार की हालात बेहद ही खराब थी। अगर विजय की सर्जरी नही की जाती तो ज्यादा दिनों तक उसके जीवन को बचाया जाना संभव नही था। विजय को कुछ भी निगलते हुए दर्द की वजह से सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी थी। जबड़े से गले तक कैंसर फैला हुआ था। हमने जांच की तो पाया इसमें रीकंस्ट्रक्शन की जरूरत है और इसमें छोटी-सी भी गलती की गुंजाइश नहीं है। हमने 5 घंटे की सर्जरी में टोटल लैरिंगो फारिंगेक्टॉमी और फैरिंजिएल ट्यूब को नए सिरे से तैयार किया। सर्जरी के बाद मरीज को एक दिन तक वेंटिलेटर पर रखा गया। ऑपरेशन के बाद का मरीज की स्थिति सामान्य है। उन्होंने बताया कि आप्रेशन बेहद ही जटिल था। यह कैंसर तंबाकू की वजह से पैदा होता है। हॉस्पिटल का मुख्य ध्येय मरीजों की सेवा करना है। आप्रेशन कितना भी जटिल हो, चिकित्सक को अपना धर्म निभाना होता है। हमने अपने कर्तव्य का निर्वहन किया है। फिलहाल मरीज की हालात ठीक है। जल्द ही अपने घर जा सकेंगे।