देहरादून
आईपीएस रिद्धिम अग्रवाल को उनकी कर्तव्यनिष्ठा व उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया है। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस की रजत जयंती परेड के अवसर पर आईपीएस रिद्धिम अग्रवाल को राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया।
विदित हो कि साल 2005 बैंच की उत्तराखंड कैडर की आईपीएस रिद्धिम अग्रवाल फिलहाल कुमायूँ परिक्षेत्र, नैनीताल की पुलिस महानिरीक्षक के पद पर तैनात है। वहां की कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और स्मार्ट पुलिसिंग की कवायद में जुटी है।
रिद्धिम अग्रवाल की पहचान तेज तर्रार कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अफसर और नेतृत्व के प्रतीक के रूप में की जाती है। उन्होंने उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों में एसपी अल्मोड़ा, एसपी चंपावत, एसएसपी उधम सिंह नगर, एसएसपी हरिद्वार में जनपद पुलिस का नेतृत्व किया।
पुलिस महकमे में उनकी कड़क छवि और कर्तव्य के प्रति का निष्ठा और अनुशासन का अंदाज पुलिस को भी खूब भाया। पुलिस के प्रति मानवीय संवेदना और डयूटी के प्रति सजगता की सीख दी।
प्रमोशन के बाद डीआईजी एसटीएफ की जिम्मेदारी दी गई तो उन्होंने कुख्यात बदमाशों को सलाखों के पीछे भिजवाया में महती भूमिका अदा की। पुलिस नेतृत्व की अदभुत क्षमता उनकी काबलियत को दर्शाती रही है। साइबर क्राइम की रोकथाम और जनता को अलर्ट करने में उनके सकारात्मक प्रयासों की सराहना होती है।
रिद्धिम अग्रवाल ने डीआईजी एसडीआरएफ के पद पर रहकर आपदाग्रस्त क्षेत्रों में उल्लेखनीय भूमिका अदा की। उन्होंने एसडीआरएफ की टीम को विशेष प्रशिक्षण दिया। आपदा की स्थिति में राहत और बचाव के तरीके सिखाए। वही विशेष सचिव गृह एवं आईजी एसडीआरएफ के पद भी रिद्धिम अग्रवाल ने प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ किया।
राष्ट्रपति पदक का यह सम्मान केवल आईपीएस रिद्धिम अग्रवाल के योगदान का नहीं, बल्कि उत्तराखण्ड पुलिस की उस कार्यसंस्कृति और संवेदनशीलता का प्रतीक है, जिसे रिद्धिम अग्रवाल ने अपने समर्पण, नेतृत्व और आधुनिक दृष्टिकोण से नई दिशा दी है।
शैक्षणिक उत्कृष्टता से सेवा पथ तक
बताते चले कि रिद्धिम अग्रवाल की शिक्षा Sacred Heart Convent, चंडीगढ़ और दिल्ली पब्लिक स्कूल आरके. पुरम, नई दिल्ली जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में हुई। इसके बाद उन्होंने श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, दिल्ली विश्वविद्यालय से Economics (Hons.) में स्नातक किया।
अपनी शिक्षा काल में ही उन्होंने उत्कृष्टता की मिसाल कायम की — वर्ष 2001 में उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने अकादमिक उत्कृष्टता के लिए सम्मानित किया गया।
सेवा में समर्पण और नेतृत्व
वर्ष 2005 में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में शामिल होने के बाद से ही उन्होंने अपने हर दायित्व को निष्ठा और संवेदनशीलता से निभाया।
हर पद पर उन्होंने जनता के बीच विश्वास कायम करने और पुलिस को मानवीय चेहरा देने का काम किया।
सम्मान और उपलब्धियाँ
उनके समर्पण और कार्यकुशलता को अनेक राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से नवाज़ा गया —
2005 में LBSNAA में प्रशिक्षण के दौरान उन्हें प्रधानमंत्री के प्रधान सलाहकार डॉ. नायर द्वारा श्रेष्ठ महिला अधिकारी के रूप में सम्मानित किया गया।
2006 में नेशनल पुलिस अकादमी (NPA) में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा सर्वश्रेष्ठ महिला अधिकारी के पुरस्कार से अलंकृत किया गया।
2018 में उन्हें FICCI Smart Policing Award से सम्मानित किया गया, जो उन्हें साइबर क्राइम में प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए मिला।
2020 में वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की एकमात्र प्रतिनिधि बनीं, जिन्हें अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा आयोजित International Visitor Leadership Program (IVLP) में “Promoting Cyber Security” विषय पर आमंत्रित किया गया।
संवेदनशीलता और आधुनिक सोच की मिसाल
रिद्धिम अग्रवाल की पुलिसिंग की पहचान केवल अनुशासन और सख्ती नहीं है, बल्कि उसमें मानवीय संवेदना, तकनीकी दक्षता और समाज के प्रति गहरी प्रतिबद्धता भी झलकती है। उन्होंने साइबर अपराध, महिला सुरक्षा, और आपदा प्रबंधन (SDRF) जैसे क्षेत्रों में पुलिस की कार्यप्रणाली को आधुनिक तकनीक से जोड़ा, जिससे उत्तराखण्ड पुलिस की पहचान पूरे देश में मजबूत हुई।
गौरव का क्षण
उत्तराखण्ड की 25वीं वर्षगांठ के इस ऐतिहासिक अवसर पर मिला राष्ट्रपति पदक न केवल श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल के व्यक्तिगत समर्पण का सम्मान है, बल्कि यह पूरे पुलिस बल के उस कर्तव्यनिष्ठ और सेवा-भाव से ओत-प्रोत दृष्टिकोण का प्रतीक है, जिसके लिए वह जानी जाती हैं।





