गगन नामदेव
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड की जनता के पैरोकार बनकर भाजपा विधायकों से ही जूझते रहे। त्रिवेंद्र की ईमानदारी भाजपा विधायकों को बीते चार साल बहुत भारी गुजरी। भाजपा विधायक अपनी मनमर्जी के मुताबिक तत्कालीन मुख्यमंत्री को अंगुली पर नचाने में भी कामयाब नही हो पाए। जिसके बाद भाजपा विधायकों ने त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए तमाम तरह की मुश्किले खड़ी करते हुए अड़चने लगानी शुरू कर दी। प्रचंड बहुमत की भाजपा सरकार में त्रिवेंद्र अकेले दम पर मोर्चा संभालते हुए प्रदेश में विकास योजनाओं को जनहित में लागू करते रहे। यही कारण रहा कि चार सालों की सरकार में त्रिवेंद्र मंत्रीपद तक का विस्तार नही कर पाए। जब उन्होंने राज्यमंत्री बनाए तो विधायको के धैर्य का बांध टूट गया और नेतृत्व परिवर्तन देखने को मिला।
उत्तराखंड में भाजपा के 57 विधायकों की प्रचंड बहुमत की सरकार के चार साल के जश्न से पूर्व नेतृत्व परिवर्तन देखने को मिला। भाजपा हाईकमान की पंसद के तौर पर एक ईमानदार मुखिया त्रिवेंद्र को असहज रूप में विदाई लेनी पड़ी। असंतुष्ट विधायकों की जिदद को पूरा करने के लिए भाजपा हाईकमान को नेतृत्व परिवर्तन का निर्णय करना पड़ा। इस निर्णय की गहराई में देखा जाए तो भाजपा हाईकमान का जल्दबाजी में उठाया गया कदम होगा। जिसका रिजल्ट आगामी विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा। प्रदेश की जनता सबकुछ देख रही है और समझ रही है। भाजपा विधायकों की कारगुजारियां भी किसी से छिपी नही है।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने साल 2017 में प्रदेश की कमान संभालने के बाद से जनता की पैरोकारी की। जनता की समस्याओं को दूर करने की दिशा में कदम बढ़ाया। प्रदेश की आर्थिक स्थिति के अनुरूप ही घोषणाएं की और उनको पूरा कराने पर फोकस किया। प्रदेश में ईमानदार जिलाधिकारियों को तैनाती दी। कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखने के लिए कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अफसरों को तैनाती दी। विकास योजनाओं की फाइलों पर संजीदगी दिखाई। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेश का विकास करने में अपनी पूरी दूरदर्शिता दिखलाई। उनकी योजनाओं का सीधा लाभ प्रदेश की जनता को मिलता रहेगा। बीते चार सालों के भीतर विपक्षी दल पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नही लगा पाए। लेकिन अगर बात करें तो भाजपा विधायकों की तो उन्होंने मुख्यमंत्री की राह में मुश्किले खड़ी करने में कोई कसर नही छोड़ी। विधायकों के असंतोष का नतीजा नेतृत्व परिवर्तन सबके सामने है।
भाजपा हाईकमान का गलत निर्णय नेतृत्व परिवर्तन
भाजपा के विधायकों की जिदद को पूरा करने के लिए एक ईमानदारी मुख्यमंत्री को बदलने का निर्णय भाजपा हाईकमान के लिए गलत साबित होगा। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी नेतृत्व परिवर्तन को चुनावी मुददा बनायेगी। जिसका जबाव भाजपा विधायकों के पास नही होगा। फिलहाल तो भाजपा विधायक हाईकमान का फैसला बताकर मीडिया से किनारा कर रहे है। लेकिन जनता की अदालत में तो बोलना ही पड़ेगा।
जनता को गिनाते त्रिवेंद्र के काम
भाजपा विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम तक बोलने को तैयात्वर नही है। त्रिवेंद्र की फोटो भाजपाईयों के बैनरों से गायब है। तो प्रदेश की जनता को किसके विकास कार्य गिनायेंगे। भाजपा प्रत्याशी चुनाव में कौन सी उपलब्धि जनता को बतायेंगे।
त्रिवेंद्र ही बना देंते सरकार
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जिन धीमे कदमों से सरकार चला रहे थे वह प्रदेश में भाजपा को सत्ता दिलाने के लिए काफी भी। त्रिवेंद्र के पास जनता को बताने के लिए बहुत कुछ था। उनकी जीरो टालरेंस की मुहिम और जमीनी स्तर पर किए गए कार्य गरीब जनता के दिलों को छू रहे थे। जनता त्रिवेंद्र को पंसद कर रही थी। त्रिवेंद्र के कम बोलने और अधिक कार्य करने की शैली प्रदेश की जनता की समझ आ गई थी। लेकिन त्रिवेंद्र की ईमानदारी भाजपा विधायकों को रास नही आ रही थी। त्रिवेंद्र के नेतृत्व में भाजपा 45 से अधिक सीट जीत सकती थी। लेकिन वर्तमान स्थिति में तो भाजपा का सत्ता से बेदखल होने के आसार दिख रहे है।