शिक्षा के अधिकार में फर्जीबाड़ा, फर्जी किरायानामा और आय प्रमाण पत्र में झोल




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काजल राजपूत.
हरिद्वार में शिक्षा के अधिकार का पूरी तरह से दुरूप्रयोग हो रहा है। फर्जी किरायानामा बनाकर निजी स्कूलों में एडमिशन हासिल करने की कूटरचना की जा रही है। इसके लिए आय प्रमाण पत्र में झोल किया जा रहा है। शिक्षा विभाग आंख मूंदकर बैठा है। शिक्षा विभाग का यह हाल तो तब है जब खुद पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने गरीबों के हक पर डाका डालने वाले लोगों के खिलाफ जांच करने के आदेश दिए है।
आर्थिक रूप से असक्षम परिवारों के बच्चों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा देने की योजना है। वंचित समूह में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, विमुक्त जाति, वनभूमि के पट्टाधारी परिवार और 40 प्रतिशत से अधिक निःशक्तता वाले परिवारों के बच्चों को इस योजना में शामिल किया गया है। इसके अलावा गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों को भी सरकार की ओर से शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत लाभ देने का प्रावधान किया गया है। लेकिन सरकार की इस योजना का पूरी तरह से दुरूप्रयोग किया जा रहा है।
निजी स्कूलों में अपने बच्चे का एडमिशन कराने के लिए आर्थिक रूप से सम्पन्न अभिभावक कागजों में फर्जीबाड़ा करके लाभ ले रहे है। भ्रष्टाचार की यह बानगी उत्तराखंड में देखी जा सकती है। हरिद्वार के तमाम निजी स्कूल शिक्षा विभाग के दबाब में चुप्पी साधे है। जबकि शिक्षा विभाग कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ है। सवाल उठता है कि गरीबों को मिलने वाली योजना पर अमीर लोग कब तक डाका डालेंगे। सवाल यह भी कि इस पूरे प्रकरण की जांच कराकर वसूली कब की जायेगी।