गंगा बंदी से श्रद्धालुओं के साथ व्यापारियों पर पड़ता है नकारात्मक प्रभाव: डॉ विशाल गर्ग




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नवीन चौहान
हर वर्ष दशहरा पर्व से लेकर दीपावली तक होने वाली गंगा बंदी से हरिद्वार के निवासियों से लेकर दूरदराज से आने वाले यात्रियों को भी बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आखिर हर वर्ष हमें गंगा बंद क्यों करनी पड़ती है। इसी विषय पर चर्चा करने के लिए स्पर्श गंगा कार्यालय में हुई गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में समाजसेवी डॉ विशाल गर्ग व निर्माणाधीन फिल्म रविदास की निर्देशिका प्रज्ञा ने भाग लिया। लेखिका और फिल्म निर्देशिका प्रज्ञा ने कहा कि बच्चों को पढ़ाते समय मां गंगा से जुड़ा कोई विषय सामने आने पर गंगा की वर्तमान हालत के विषय में सोचने को मजबूर हो जाते हैं।
समाजसेवी विशाल गर्ग ने कहा कि हर वर्ष गंगा बंदी करने से व्यापारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि हरिद्वार का व्यापार यात्रियों के आवागमन पर ही केंद्रित है। गंगा में ऊपर तक रेत इकट्ठा हो जाता है और बरसात के मौसम में गंगा खतरे के निशान से ऊपर बहने लगती है इस खतरे से बचने के लिए गंगा को बंद करके उसमें से रेत निकाल कर उसे समतल करना भी आवश्यक है। गंगा के घाटों की मरम्मत भी गंगा बंदी के समय ही की जाती है। स्पर्श गंगा संयोजिका रीता चमोली ने कहा कि गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता को बनाए रखने का उत्तरदायित्व केवल कुछ संस्थाओं का ही नहीं है। छोटे-छोटे बच्चों से लेकर प्रत्येक व्यक्ति को इस दिशा में अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा और अपने वर्तमान के साथ-साथ अपने भविष्य को भी अपने हाथों से ही संभालना होगा।

कार्यक्रम का संचालन रीमा गुप्ता ने किया। इस मौके पर मनु रावत, विमला ढौंडियाल, अंश मल्होत्रा, रजनीश, रीमा गुप्ता आदि ने भाग लिया।