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धर्मनगरी हरिद्वार में गुरु पूर्णिमा पर्व कनखल स्थित चेतनानंद गिरि आश्रम में बड़े भक्ति भाव और उल्लास के साथ मनाया गया। सन्यास रोड स्थित इस ऐतिहासिक आश्रम में गुरु परंपरा के सम्मान में श्रद्धालु भारी संख्या में एकत्रित हुए और गुरु चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

इस अवसर पर महंत रामानंद गिरि जी महाराज एवं उप महंत कृष्णानंद गिरि जी महाराज ने अपने पूज्य गुरुमूर्ति ब्रहलीन स्वामी चेतनानंद गिरि जी महाराज, ब्रहमलीन स्वामी ज्ञानानंद गिरि जी महाराज तथा ब्रहमलीन स्वामी विष्णुदेवानंद गिरि जी महाराज की प्रतिमाओं पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और गुरु परंपरा को नमन किया।
गुरू शिष्य की परंपरा के प्रतीक गुरू पूर्णिमा पर्व पर आश्रम के मंदिर परिसर को विशेष रूप से सजाया गया था। प्रात:काल की बेला से ही वैदिक मंत्रोच्चार, हवन, गुरु स्तुति और भजन-कीर्तन की गूंज से वातावरण भक्तिमय बना रहा। भक्तों और श्रद्धालुओं ने पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना में भाग लिया।
महंत श्री रामानंद गिरि जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि “गुरु न केवल ज्ञान के प्रदाता हैं, बल्कि वह हमारे जीवन के असली पथ प्रदर्शक भी हैं। जो जीवन में गुरु को पा लेता है, वह परमात्मा तक की यात्रा में सक्षम हो जाता है।”
उप महंत श्री कृष्णानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि गुरु की सेवा ही सच्चा धर्म है। उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे जीवन में सच्चे गुरु को आत्मसात करें और उनके बताए मार्ग पर चलकर जीवन को सफल बनाएं।
पूजन कार्यक्रम के उपरांत विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें दूर-दराज से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। आश्रम के संतों और सेवकों ने व्यवस्था को सुचारु रूप से संभालते हुए सभी भक्तों की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इस आयोजन ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि हरिद्वार की भूमि केवल तीर्थ नहीं, अपितु गुरु परंपरा की जीवंत परंपरा का ध्वजवाहक है। चेतनानंद गिरि आश्रम का यह आयोजन अध्यात्म, भक्ति और गुरु श्रद्धा का अनुपम उदाहरण बना।