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गुरुकुल कांगड़ी सम विश्वविद्यालय के शिक्षकेत्तर कर्मचारियों द्वारा चलाये जा रहे नौ दिवसीय सांकेतिक धरने को अब तेज धार मिल चुकी है। हरिद्वार की प्रतिष्ठित आध्यात्मिक संस्था मातृ सदन ने कर्मचारी संगठन को अपना पूर्ण समर्थन दिया। इस मौके पर मातृ सदन के संतों ने स्वयं धरनास्थल पर पहुँचकर कर्मचारियों के संघर्ष को नैतिक बल प्रदान किया।
धरने के अगुवा डॉ. शत्रुघ्न झा ने कहा कि “हमारा आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक विश्वविद्यालय में अवैध रूप से नियुक्त कुलसचिव सुनील कुमार को पद से हटाया नहीं जाता और विश्वविद्यालय को आर्य समाज के केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिल जाता।”
उप कुलसचिव राजेश कुमार पांडेय ने बताया कि “धरने को सफल बनाने हेतु मातृ सदन द्वारा दिया गया समर्थन आंदोलन को निर्णायक बनाएगा। मातृ सदन के जुड़ने का अर्थ है कि यह आंदोलन अब और अधिक प्रभावशाली होगा।”
ब्रह्मचारी सुधानंद ने विश्वविद्यालय के गौरवमयी इतिहास को याद दिलाते हुए कहा कि “यह संस्था स्वामी श्रद्धानंद जी द्वारा 1902 में स्थापित की गई थी और 1962 में भारत सरकार ने इसे पूर्ण अनुदान देकर मान्यता दी। आज यह एक राष्ट्रीय धरोहर है जिसकी रक्षा के लिए हर संभव प्रयास आवश्यक है।”
ब्रह्मचारी दयानन्द ने कहा कि “जो कर्मचारी आज धरने पर बैठे हैं, वही असली आर्य समाजी हैं और सच्चे हितैषी हैं। कुछ अनैतिक तत्व प्रशासन का दुरुपयोग कर ऊंचे पदों पर काबिज हैं, जिसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।” उन्होंने आगे कहा कि “इस आंदोलन की चिंगारी एक बड़े आंदोलन का रूप ले सकती है यदि प्रशासन ने समय रहते उचित कदम नहीं उठाए।”
मातृ सदन की ओर से यह स्पष्ट किया गया कि संस्था केवल सत्य एवं सिद्धांतों पर आधारित आंदोलनों का ही समर्थन करती है और विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की इस लड़ाई में वह पूरी आस्था से साथ खड़ी है।
कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष रजनीश भारद्वाज ने कहा कि “हम कर्मचारी निष्ठा से इस आंदोलन से जुड़े हैं और इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय की मान्यता मिलने तक जारी रखेंगे। किसी भी दबाव या प्रलोभन में नहीं आएंगे।”
डॉ. सचिन पाठक ने कहा कि “वर्तमान में विश्वविद्यालय की स्थिति बहुत असमंजसपूर्ण है क्योंकि यहाँ दो कुलपति और दो कुलसचिव काम कर रहे हैं जिससे शैक्षणिक वातावरण प्रभावित हो रहा है। प्रवेश प्रक्रिया भी इससे बाधित हो रही है।”
प्रकाश तिवारी ने भावुक होकर कहा कि “हमारी जीविका इसी विश्वविद्यालय से चलती है और इसके लिए अपनी जान देने को भी तैयार हैं।”
डॉ. धर्मेंद्र बालियान ने मातृ सदन के जुड़ने को निर्णायक क्षण बताया, जबकि महामंत्री नरेंद्र मलिक ने जानकारी दी कि आंदोलन से संबंधित सभी दस्तावेज अब मातृ सदन को सौंप दिए गए हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ. पंकज कौशिक ने किया।
गुरुकुल कांगड़ी के नौ दिवसीय सांकेतिक धरने को मिला मातृ सदन का समर्थन, सभाओं की यह चाल



