अनुपमा रावत को वोट देकर रो रहे हरिद्वार ग्रामीण के लोग, स्वामी को कर रहे याद




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नवीन चौहान
हरिद्वार ग्रामीण के लोग अनुपमा रावत को वोट देने के बाद खून के आंसू रो रहे है। हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र की जनता अब स्वामी यतीश्वरानंद को याद कर रही है। जनता को अपनी गलतीमहसूस होने लगी है। वही स्वामी यतीश्वरानंद की बात करें तो चुनाव हारने के बाद भी वह मनोभाव के साथ जनता की समस्याओं का निस्तारण करने में लगे है। वेद मंदिर स्थित आश्रम में प्रतिदिन जनता की समस्याओं का समाधान हो रहा है। जबकि क्षेत्र की वर्तमान विधायक अनुपमा रावत कुछ चुनिंदा लोगों के बीच एक विशेष वर्ग तक आकर सीमित हो गई है। वह जनता की समस्याओं को महसूस तक नही कर पा रही है।
पूर्व केबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से दो बार विधायक बने। अपने 10 साल के कार्यकाल में क्षेत्र की समस्याओंं को नजदीक से समझा और दूर करने का हरसंभव प्रयास किया। पिछड़े इलाकों में बिजली, पानी सड़कों की समस्याओं को दूर किया। समाज के सभी तबकों के घरों तक पहुंचे। क्षेत्र में विकास को अपनी सबसे पहली प्राथमिकता में शुमार रखा। विधायक बनने तक स्वामी यतीश्वरानंद की लोकप्रियता जनता में सबसे ज्यादा रही। जनता से मिलने का अंदाज भी निराला था। सभी के सुख दुख में शामिल होने की स्वामी यतीश्वरानंद की कार्यशैली जनता को खूब पसंद आई। क्षेत्र की जनता ने भी स्वामी यतीश्वरानंद को सिर आंखों पर बैठाकर रखा। लेकिन स्वामी यतीश्वरानंद के उत्तराखंड सरकार में केबिनेट मंत्री बनते ही समूचे प्रदेश में विकास कार्यो का दायित्व बढ़ गया। वह प्रदेश के दौरों में व्यस्त हो गए। गन्ना किसानों की समस्याओं को दूर करने, बंद पड़ी शुगर मिलों को चलाने में जान फूंकने लगे। स्वामी यतीश्वरानंद ने अपनी जिम्मेदारी से प्रदेश सरकार के कार्यो को बखूवी अंजाम दिया। वही दूसरी ओर उनके नजदीक रहने वाले स्वामी यतीश्वरानंद की छवि को खराब करने में जुट गए। स्वामी यतीश्वरानंद को जनता से दूर कर दिया और उनको अपार जनसमर्थन् होनेे के सपने दिखाने लगे। लेकिन साल 2022 के विधानसभा चुनाव में स्वामी यतीश्वरांनद बहुत ही कम अंतर और कांटे के मुकाबले में कांग्रेस की अनुपमा रावत से चुनाव हार गए। हालांकि इस हार के पीछे कई कारण है। लेकिन सबसे प्रमुख कारण तो अपनी जनता से दूर रहना और आसपास मंडराने वाले मतलबी लोगों को ठीक तरी​के से नही पहचान पाने का ही माना जायेगा।
खैर चुनाव परिणाम तो जो रहे वो ठीक है। लेकिन उसके बाद क्षेत्र की जनता को जो झेलना पड़ रहा है। उसका अंदाजा शायद ही किसी को हो। फिलहाल तो जनता स्वामी को याद कर रही है। वैसे रोने की वजह तो कई है। लेकिन गरीब जनता के आंसूओं को थामने वाला कोई नही है।