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स्वामी श्रद्धानंद की तपस्थली गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय की पहली महिला कुलपति प्रोफेसर हेमलता को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी, हालांकि वह इस कुर्सी पर कार्यवाहक कुलपति थी, लेकिन जिस तरह से उन्हें विदा किया गया वह किसी अपमान से कम नहीं है।
गुरुकुल की पहली महिला कुलपति जब कार्यालय से निकली तो उनको विदाई तक नहीं दी गई। जबकि कुलपति कार्यालय के भीतर नए कुलपति प्रोफेसर प्रभात सेंगर की ताजपोशी हो रही थी। प्रभात सेंगर को बुके देने और मिठाई खिलाने का सिलसिला जारी था। इस पूरे घटनाक्रम और आक्रोषित कर्मचारियों के बीच पूर्व कुलपति हेमलता ने गुरूकुल के हितों को सर्वोपरि रखते हुए सभी से शांतिपूर्ण तरीके से अपना प्रदर्शन करने की अपील की और स्वयं अपने अंग्रेजी विभाग में कर्तव्यपथ पर आगे बढ़ गई।
गुरूकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के इतिहास में पहली महिला कुलपति होने का गौरव प्रोफेसर हेमलता को मिला। प्रोफेसर हेमलता ने कुलपति का पदभार ग्रहण करने के बाद एक डीन की तरह ही अंग्रेजी विभाग को वरीयता दी। उन्होंने कुर्सी पर रहकर अनुशासन और कर्तव्यनिष्ठा को प्राथमिकता दी। गुरूकुल कांगड़ी के हितों की रक्षा की और कर्मचारियों को विश्वविद्यालय के हित में कार्य करने के लिए प्रेरित किया। 3 अगस्त 2024 को यूजीसी ने वरिष्ठता क्रम में कार्यवाहक कुलपति के रूप में प्रोफेसर हेमलता को दायित्व सौंपा था। लेकिन 7 जुलाई 2025 को उनको कुलपति कार्यालय तक पहुंचना नसीब नही हुआ। इससे पहले ही उनको कुलपति पद से हटाने की सूचना दे दी गई।
इस पूरे घटनाक्रम के पीछे गुरूकुल कांगड़ी का संचालन कराने वाली आर्य प्रतिनिधि सभा और उनके जुड़े लोगों की महत्वकांक्षा है। आर्य प्रतिनिधि सभा ने सबसे पहले रजिस्ट्रार सुनील कुमार को पद पर बने रहने का पत्र कुलाधिपति डॉ एसके आर्य के माध्यम से भिजवाया। जबकि दूसरा पत्र कुलपति का कार्यभार संभाल रही हेमलता को मूल कैडर में जाने का भिजवाया।
आर्य प्रतिनिधि सभा ने गुरूकुल में अपने वर्चस्व को कायम किया और अपनी ताकत के बल पर ही नए कार्यवाहक कुलपति के लिए प्रभात सेंगर को चयनित किया। प्रभात सेंगर का गुरूकुल कांगड़ी की व्यवस्थाओं को संचालित करने का दशकों पुराना अनुभव है। आर्य समाज के पदाधिकारियों से भी उनका सीधा संबंध है। उन्होंने 7 जुलाई 2025 को कुलपति के पद पर कार्यभार ग्रहण कर लिया और अपने कार्य शुरू कर दिए।
जबकि दूसरी तरफ गुरूकुल के तमाम कर्मचारी आक्रोष व्यक्त कर रहे है, प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों में कुछ संविदाकर्मी पल-पल पाला बदल रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ी और अहम बात यह रही कि शक्ति का प्रतीक नारी का सम्मान सुरक्षित रखने में गुरूकुल कांगड़ी की पुण्य भूमि से जुड़े लोगों से बड़ी भूल हो गई। हालांकि प्रोफेसर हेमलता ने कुर्सी छोड़ने का कोई मलाल नहीं किया और गुरूकुल का हित सर्वोपरि रखा। उनका बयान आप खुद सुन सकते है और समझ सकते है।