परिवार और दोस्तों की आंखों में आंसू देकर जगदीश ने ली अंतिम विदाई




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नवीन चौहान, हरिद्वार। खाकी का एक बहादुर जवान जगदीश बिष्ट अब इस दुनिया में नहीं है। जगदीश ने डिप्रेशन के चलते फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उसने अपने दिल की बात भी किसी को नहीं बताई। जगदीश की मां उसके हाथ पीले करने की तैयारी कर रही थी। जगदीश के लिये लड़की पसंद करने में लगी थी। जगदीश का वो हंसता हुआ चेहरा सभी की आंखों के सामने तैर रहा है। जब परिजनों और पुलिस महकमे ने जगदीश को अंतिम विदाई दी तो सभी की आंखे नम थी। मां की नम आंखे मानो जगदीश को उठाने की कोशिश कर रही हो। पिता अपने दिल पर पत्थर रखकर बैठे थे।
साल 2012 में पुलिस महकमे का हिस्सा बनने वाले पिथौरागड़ के डीडीहाट निवासी जगदीश बिष्ट बहुत ही शांत और हंसमुख से दिखने वाला युवक था। जगदीश जिससे भी एक बार मिलता था उसका दोस्त बन जाता था। उसके चेहरे पर एक मुस्कान बनी रहती थी। वह परिवार और दोस्तों का बड़ा प्रिय था। पुलिस ड्यूटी में भी पूरी तहर से जिम्मेदार था। यहीं कारण था कि जिन अफसरों की सुरक्षा ड्यूटी में जगदीश को तैनात किया गया वह उनका भी प्रिय हो गया। एक महिला अफ़सर ने तो जगदीश को घड़ी गिफ्ट की। जिसको जगदीश बहुत संभालकर रखता था। लेकिन जगदीश डिप्रेशन का शिकार था। डिप्रेशन वो गंभीर बीमारी है जो किसी भी बहादुर से बहादुर व्यक्ति को भी मानसिक तौर पर कमजोर बना देती है। इस बीमारी से व्यक्ति बस अपनी इच्छा शक्ति से ही बाहर निकल सकता है। तो क्या जगदीश की इच्छा शक्ति कमजोर पड़ गई थी। कुछ ये सवाल सभी को विचलित कर रहे है। शनिवार को जगदीश को अंतिम विदाई दी गई। श्मशान घाट पर एसएसपी कृष्ण कुमार वीके सहित पुलिस महकमे के तमाम लोग व परिजनों की आंखे नम थी।