डीएम सविन बंसल का न्याय: विधवा मां के लिए कलेक्ट्रेट बना न्याय का मंदिर




Listen to this article


नवीन चौहान
देहरादून ज़िले में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने न केवल कानून और व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया, बल्कि एक संवेदनशील प्रशासक के निर्णय से मानवता की सच्ची तस्वीर भी पेश की।
भागीरथपुरम, बंजारावाला की रहने वाली विजयलक्ष्मी पंवार – एक विधवा महिला, दो जवान बेटों की मां, लेकिन एक ऐसा जीवन जी रही थीं जो किसी यातना गृह से कम नहीं था। दोनों बेटे नशे के आदी, हिंसक, बेरहम और पैसे के लिए अपनी ही मां को पीटने वाले दरिंदे बन चुके थे।

“जब मां ने लगाई गुहार, डीएम ने थाने और वकील को किया दरकिनार”

22 अगस्त को विजयलक्ष्मी कांपते कदमों से जिलाधिकारी सविन बंसल के कार्यालय पहुंचीं। आंखों में आंसू, जुबान पर डर और दिल में उम्मीद – उन्होंने जो कहानी सुनाई, वह किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को झकझोर कर रख दे। अपने ही बेटों से जान का खतरा, मारपीट की घटनाएं, नशे में धुत लड़कों की हैवानियत, और एक लाचार मां का दर्द – सब कुछ बयां कर दिया।

डीएम सविन बंसल ने संवेदनशीलता और निर्णायकता का परिचय देते हुए न तो FIR का इंतजार किया, न ही कचहरी के चक्कर लगवाए, बल्कि गुंडा अधिनियम 1970 के तहत अपनी विशेष प्रशासनिक शक्ति का प्रयोग करते हुए सीधे कार्रवाई शुरू कर दी।

“कानून के जाल में उलझी मां के लिए निकाली सीधी राह”

जैसे ही मामला सामने आया, डीएम ने उसी दिन गोपनीय जांच के आदेश दिए। स्थानीय लोगों, जनप्रतिनिधियों और पड़ोसियों की पुष्टि के बाद ये साफ हो गया कि शुभम पंवार और उसके भाई की हरकतें केवल घरेलू हिंसा नहीं, बल्कि समाज के लिए भी खतरा हैं।

इसी के आधार पर दोनों बेटों को गुंडा एक्ट के तहत नोटिस जारी किए गए। उन्हें 26 अगस्त को डीएम कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया गया है। यदि वे समय पर जवाब नहीं देते तो जिला बदर की कार्रवाई तुरंत अमल में लाई जाएगी।

“जब न्यायालय नहीं, कलेक्ट्रेट बना विधवा मां की उम्मीद का केंद्र”

इस मामले ने देहरादून में प्रशासन की नई मिसाल कायम की है। यह पहला मौका है जब बिना थाने की रिपोर्ट, बिना वकील, बिना न्यायालय की लंबी प्रक्रिया के, डीएम ने अपने अधिकार का प्रयोग कर सीधे गुंडा एक्ट में कार्रवाई की।

इससे यह स्पष्ट हो गया कि यदि पीड़ित की आवाज सच्ची है और जीवन संकट में है, तो प्रशासन कानूनी प्रक्रियाओं की जटिलता में उलझे बिना भी त्वरित न्याय दे सकता है।

“मुख्यमंत्री के जनसेवा संकल्प से प्रेरित – प्रशासन का नया चेहरा”

डीएम बंसल का यह कदम राज्य सरकार की जनसेवा संकल्पना का मूर्त रूप है – जहां आम नागरिक, खासकर महिलाएं, विधवा, गरीब व असहाय वर्ग, कानून की पेचीदगियों में उलझे बिना सीधे प्रशासन से न्याय पा सकते हैं।

यह कार्रवाई न सिर्फ पीड़िता को राहत देने वाली है, बल्कि यह समाज को संदेश देती है कि अब प्रशासन मौन दर्शक नहीं, बल्कि तत्पर रक्षक बन चुका है।